अब सफर में नहीं बनेगा स्लीपर का टिकट, जुर्माना लगाकर अगले स्टेशन पर उतार देगा टीटीई, वेटिंग वालों का क्या…?

वेटिंग टिकट के बनानी होगी नई गाइडलाइन क्षेत्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति के सदस्य अरविंद कुमार सिंह कहते हैं कि आखिर रेलवे मनमाने ढंग से वेटिंग टिकट ही जारी क्यों करता है।

वेटिंग टिकट को लेकर भी रेलवे को नई गाइडलाइन बनानी होगी।

अब तो जनरल काउंटरों से नजदीक वाले स्टेशनों के लिए स्लीपर टिकटों की बुकिंग भी बंद हो गई है।  कोविड काल से पहले बांद्रा एक्सप्रेस में गोरखपुर से लखनऊ, मौर्य एक्सप्रेस में गोरखपुर से छपरा तथा दादर एक्सप्रेस में गोरखपुर से वाराणसी तक के लिए स्लीपर के टिकट मिल जाते थे।

इस व्यवस्था के बंद होने से स्थानीय यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

रेलवे की आय तो बढ़ जा रही, लेकिन यात्री परेशान हो रहे हैं।

यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने पर विचार करना होगा।  फिलहाल, रेलवे प्रशासन ने सिर्फ स्लीपर टिकट बनाने पर ही रोक नहीं लगाई है, बल्कि आरक्षित कोचों में चढ़े वेटिंग टिकट के यात्रियों को भी उतारने के लिए निर्देशित कर दिया है।

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर सहित छपरा और गोंडा में आरक्षित कोचों से वेटिंग टिकट के यात्रियों को उतारने की व्यवस्था शुरू हो गई है। यात्रियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सतत प्रयास किया जाता है।

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