दूषित रंगीन पानी को साफ करेगा जलकुंभी का बुरादा, गोरखपुर यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर को रिसर्च में मिली सफलता

24 घंटे में रंगीन पानी रंगहीन यानी मेथिलीन ब्लू से मुक्त हो गया।

यह प्रयोग वर्ष भर में एक दर्जन बार किया और अंत में इस निष्कर्ष पर पहुंची कि 100 मिलीलीटर दूषित रंगीन पानी को शुद्ध करने के लिए अधिकतम 10 मिलीग्राम जलकुंभी के बुरादे की जरूरत है।उद्योगों से निकलने वाले रंगीन पानी को साफ करने के लिए इसी अनुपात में जलकुंभी के बुरादे का इस्तेमाल किया जाए तो दूषित पानी के निस्तारण की समस्या का समाधान हो जाएगा और अंधाधुंध बढ़ने वाली जलकुंभी का प्रबंधन भी सुनिश्चित हो सकेगा।

चूंकि जलकुंभी आसानी से उपलब्ध होने वाला खरपतवार है, इसलिए इसका बुरादा भी कम खर्च में तैयार हो जाएगा। जलकुंभी से पानी को रंगहीन बनाने के बाद शुद्धीकरण करके उसका इस्तेमाल घरेलू कार्यों में किया जा सकेगा।

जलकुंभी में ऐसा कौन सा रासायनिक तत्व है जो मेथिलीन ब्लू युक्त पानी को रंगहीन बना रहा है, इस पर भी अध्ययन चल रहा है।क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गोरखपुर के वैज्ञानिक सहायक राम मिलन वर्मा इस अध्ययन को वर्तमान परिस्थिति में छोटे व मध्यम उद्योगों के लिए उपयोगी बता रहे हैं।

उनका कहना है कि इससे उद्योगों के सामने प्रदूषित पानी के निस्तारण की समस्या समाधान हो जाएगा।

जल निकायों को प्रदूषित होने से रोकना भी आसान हो जाएगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए उपयोगी है यह शोधडा. मल्ल के अनुसार मिथाइल ब्लू एक धनायनिक रंग है, जिसका उपयोग उत्पादों को रंगने के लिए किया जाता है।

ऐसे में इसे लेकर संचालित होने वाले उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट में भारी मात्रा में मिथाइल ब्लू होता है, जो जल निकायों में बहा दिया जाता है।

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