हरिद्वार: देश का पहला संस्कृत चैनल उत्तराखंड संस्कृत विवि में खुलेगा जल्द, इन कार्यक्रमों का किया जाएगा प्रसारण

संक्षेप:

  • देश का पहला संस्कृत चैनल, उत्तराखंड संस्कृत विवि में खुलेगा जल्द
  • सभी कार्यक्रमों का प्रसारण संस्कृत में किया जाएगा
  • वर्ष 2014 में पहली बार चैनल खोलने के प्रस्ताव को लाया गया

हरिद्वार। सचिव संस्कृत शिक्षा विनोद प्रसाद रतूड़ी ने कहा कि देश का पहला संस्कृत चैनल उत्तराखंड संस्कृत विवि में जल्द खुलेगा। सोमवार को रतूड़ी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में संस्कृत चैनल खोलने से संबंधित समस्त दस्तावेज उत्तराखंड संस्कृत अकादमी ने उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलसचिव को सौंपे। संस्कृत चैनल की स्थापना करने से देवभूमि की द्वितीय राजभाषा संस्कृत को प्रचार मिलेगा। इस संस्कृत चैनल का नाम संस्कृत संस्कृति होगा। चैनल को चलाने के लिए सभी संसाधनों का प्रयोग किया जाएगा। 

सभी कार्यक्रमों का प्रसारण संस्कृत में किया जाएगा

इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में संस्कृत शिक्षा सचिव रतूड़ी ने कहा कि सभी कार्यक्रमों का प्रसारण संस्कृत में किया जाएगा। जिसमें संस्कृत नाटक, गीत, कहानियां, उत्तराखंड के पर्यटक स्थल, आध्यात्मिक स्थल, आरतियों का सजीव प्रसारण भी चैनल द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत अकादमी द्वारा इस चैनल से संबंधित होमवर्क पूर्णकर विश्वविद्यालय को सौंपा गया है। कुलपति प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि चैनल को चलाने के लिए इसके संसाधन विकसित किये जाएंगे। आय और व्यय के संसाधन जुटाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदा न आयोग, उत्तराखंड शासन तथा केंद्र सरकार के मंत्रालय से अनुरोध किया जाएगा।

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उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ आनंद भारद्वाज ने अकादमी के कार्यक्रमों का समस्त विवरण प्रेस वार्ता में प्रस्तुत किया। इस दौरान उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद के सदस्य और उत्तराखंड हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश लोकपाल सिंह ने संस्कृत चैनल की स्थापना के लिए ग्यारह हजार, संस्कृत शिक्षा सचिव, कुलपति, डॉ शिव प्रसाद खाली, डॉ आनन्द भारद्वाज ने भी ग्यारह-ग्यारह हजार तथा सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य विवि कार्यपरिषद के सदस्य डॉ ओम प्रकाश भट्ट व राजेंद्र प्रसाद गैरोला ने 51 सौ रुपये प्रदान किये। इस अवसर पर कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी, विवि कार्यपरिषद के सदस्य प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री, डॉ दिनेश चमोला, प्रो कमला पंत, वित्त नियंत्रक हिमानी स्नेही, कन्हैया राम सार्की, डॉ हरीश चंद्र तिवाड़ी, डॉ शैलेश कुमार तिवारी, मनोज गहतोड़ी, रामप्रसाद थपलियाल सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे। 

वर्ष 2014 में पहली बार चैनल खोलने के प्रस्ताव को लाया गया

वर्ष 2014 में अपर मुख्य सचिव संस्कृत शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में पहली बार चैनल खोलने के प्रस्ताव को लाया गया। जिसमें संस्कृत के विद्वानों, विशेषज्ञ, गणमान्य जनों के सुझाव प्राप्त किये गए थे। स्थानीय चैनल प्रचारकों के साथ विचार विमर्श के बाद इस कार्य को आगे बढ़ाया गया।

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