अब खूनी हाईवे ने ली रामानंद आश्रम के महामंडलेश्वर भगवानदास की जान

संक्षेप:

  • सड़क हादसे में महामंडलेश्वर भगवानदास की मौत
  • हरिद्वार-दिल्ली हाईवे बनती जा रही खूनी
  • सैकड़ों लोग गंवा चुके हैं जान

हरिद्वार: हरिद्वार-दिल्ली हाईवे पर कोर कालेज के पास दर्दनाक सड़क हादसा हो गया। हादसे में एक कार पुराने पुल से रतमऊ नदी में गिर गई। इसमें रामानंद आश्रम के परमाध्यक्ष एवं महामंडलेश्वर भगवानदास और उनके एक अनुयायी की मौत हो गई, जबकि तीन लोग घायल हो गए।

तीनों घायलों को रामकृष्ण मिशन अस्पताल से हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि पुराना पुल वाहनों की आवाजाही के लिए बंद किया हुआ है, लेकिन इससे पहले कोई साइन बोर्ड नहीं लगा है। माना जा रहा है कार पुल पर पहुंचकर अनियंत्रित हो गई और नदी में गिर गई।

शनिवार को श्रवणनाथ नगर स्थित रामानंद आश्रम के परमाध्यक्ष और महामंडलेश्वर भगवानदास और उनका अनुयायी एमएल गोस्वामी दिल्ली से हरिद्वार आ रहे थे। बताया जाता है कि शनिवार देर रात करीब 12 बजे कोर कालेज के पास रतमऊ नदी के पुराने पुल के पास कार अनियंत्रित होकर नदी में गिर गई।

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हाईवे से गुजर रहे वाहन चालकों की सूचना पर बहादराबाद थानाध्यक्ष मनोहर सिंह भंडारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने कार में फंसे पांच लोगों को बाहर निकाला। तब तक दो की मौत हो चुकी थी।

पुलिस ने एंबुलेंस की मदद से तीन घायलों को कनखल के रामकृष्ण मिशन अस्पताल पहुंचाया। थानाध्यक्ष मनोहर सिंह भंडारी ने बताया कि मृतकों की पहचान परमाध्यक्ष एवं महामंडलेश्वर भगवानदास (61) और रूपेंद्र गोस्वामी (60) निवासी रामानंद आश्रम श्रवणनाथ नगर के रूप में हुई है। जबकि घायलों के नाम महेश पंत पुत्र जयदेव पंत, हरेंद्रदास पुत्र वृंदानंद बिहारीदास निवासीगण रमानंद आश्रम और विमलेश गोस्वामी पुत्र मुनेश्वर गोस्वामी निवासी गुड़गांव (हरियाणा) के रूप में हुई है।

आपको बता दें कि हरिद्वार-दिल्ली हाईवे पर सफर करना अपनी जान जोखिम में डालने सरीखा है। सात साल से चल रहा हाईवे चौड़ीकरण का काम खूनी बन गया। चौड़ीकरण के काम के चलते बने डेंजर जोन के कारण अभी तक सैकड़ों लोग जान गंवा चुके हैं।

शनिवार को घटी दुर्घटना के बाद एक बार फिर हाईवे के निर्माण को लेकर ध्यान खींचा है। दरअसल, जहां दुर्घटना घटी है वहां पहुंचने पर यह पता ही नहीं चल पाता है कि पुल पर आवाजाही बंद है। न कोई साइन बोर्ड है न ही कोई डायवर्जन बोर्ड लगा है। यही नहीं कोई पैरापिट का निर्माण भी नहीं किया गया है। दुर्घटनास्थल को देखकर साफ हो जाता है कि पूरी तरह से लापरवाही बरती गई है। यदि वहां कोई साइन बोर्ड लगा होता तो संभवत दुर्घटना न होती। केवल रतमऊ नदी का पुल ही डेंजर प्वाइंट नहीं है, बल्कि जिले भर में ऐसे दो दर्जन से अधिक डेंजर प्वाइंट है।

इन सभी डेंजर प्वाइंट पर पूर्व में हुई दुर्घटनाओं में कई लोगों की मौत हो चुकी है। शासन और प्रशासन केवल हाईवे के निर्माण कार्य को जल्द से जल्द पूरे होने के दावे तक ही सिमटा हुआ है, लेकिन सिस्टम की सुस्ती की कीमत आमजन को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। हरिद्वार दिल्ली हाईवे रोजाना खून से लाल हो रहा है।

डीएम दीपक रावत ने हाईवे पर बनने वाले फ्लाई ओवरों का कार्य 31 जनवरी तक पूरा होने का दावा किया था, लेकिन उनका दावा हवा हवाई था। दिलचस्प बात ये है कि एक भी फ्लाईओवर का कार्य पूरा नहीं हो सका। कुछ फ्लाईओवर का तो कार्य अभी शुरू ही नहीं हो सका है। ऐसे में जिलाधिकारी के दावे की पोल फोरलेन बना रही कंपनी ही खोल रही है। हाईवे की हालत ये है कि पता ही नहीं चलता है कि जाना कहां है। कहां से आना है और कहां से जाना है, ये समझ ही नहीं आता है। बड़े ही सोच समझ कर वाहन चलाना पड़ रहा है, वरना हादसा होना तय ही है। 

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