जानिए भीमगोडा कुंड से कैसे निकला पानी?

संक्षेप:

  • भीमगोडा कुंड से निकलता है मीठा जल
  • NYOOOZ ने की पुजारी से बातचीत
  • कुंड का दर्शन करने से मन को मिलती है शांति

 

हरिद्वार: हरिद्वार, जिसे धर्मनगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां कई धार्मिक स्थल है और उसकी अपनी मान्यताएं है। उन्हीं में से एक है "भीमगोडा प्राचीन कुंड"।

NYOOOZ की टीम ने भीमगोडा प्राचीन कुंड पहुंचकर यहां के पुजारी से बात की और जानना चाहा इसकी क्या कहानी है? यहां के पुजारी रत्न लाल ने बताया कि इस प्राचीन कुंड में कई वर्षों  से मीठा जल निकलता आ रहा है, जिसको पीने से रोग दूर होता हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि इस कुंड का दर्शन करने से मन को शांति मिलती है।

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पुजारी ने NYOOOZ  को कुंड के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि जब महाभारत का युद्ध खत्म हुआ और पांडवों को राजपाठ सौंपा गया तो उसके बाद कृष्णा भगवान ने पांडवों से कहा कि आप लोगों के लिए स्वर्ग का दरवाजा खुला है,  यह सुनकर पांडव पैदल स्वर्ग की ओर चलने लगे और चलते -चलते जब पांडव हरिद्वार पहुंचे तो रात होने के कारण यहीं रात्रि विश्राम किया।

पांच पांडवों में से एक भाई भीम सुबह देरी से उठने की वजह से स्वर्ग जाने की राह में थोड़े पीछे रह गये और अकेले चल पड़े। रास्ते में अकेले चलते-चलते भीम को पीछे से एक अवाज आई, भीम जब पीछे मुड़ा तो कृष्णा भगवान थे। फिर उन्होंने कहा कि भीम तुम जहां खड़े हो वहीं अपने घुटने जमीन में मार दो , भीम ने उनके कहने पर घुटने जमीन में  मारे और जिस जगह घुटने लगे वहां से पानी निकलना शुरू हो गया जिसका नाम गुप्त गंगा भीमगोडा पड़ा। लोग यहां का पानी भर अपने साथ ले जाते थे, यहां स्नान करते थे और अनेकों धार्मिक कर्मकांड भी हुआ करते थे। एक जमाने में कुंड का पानी आसपास के इलाकों की प्यास बुझाने के साथ-साथ अन्य कामों के लिए इस्तेमाल होता था।

 

पुजारी ने कहा कि हमारे शास्त्र के उत्तर भाग में भी इसका वर्णन किया गया है और भीमगोडा में  एक प्राचीन मंदिर भी है जहां पांडवों ने एक रुद्राक्ष रख कर ध्यान किया था और उस रुद्राक्ष में से 11 शिवलिंग निकले थे।

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