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एक दिन में सर्वाधिक GI Tag हासिल कर चुका है उत्तराखंड, इससे जुड़े लोगों की आर्थिकी पर नहीं दिया जा रहा ध्यान
- न्यूज़
- Tuesday | 20th February, 2024
रीना डंडरियाल, रुड़की।
GI Tag: देश की विरासतों को भौगोलिक संकेतक (जीआइ टैग) प्रमाण के माध्यम से संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार करना जितना जरूरी है उतना ही आवश्यक उन उत्पादों से जुड़े शिल्पकार, कारीगर, कलाकार, किसान आदि को आर्थिक लाभ पहुंचाना और इनसे जुड़ने के लिए अधिक लोगों को प्रोत्साहित करना भी है।
लेकिन, उत्तराखंड में यह योजना फलीभूत होती नजर नहीं आ रही।
अब तक प्रदेश में जिन उत्पादों को जीआइ टैग मिला है, उनसे जुड़े लोगों के आर्थिक व सामाजिक परिवेश में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है।
यह बात भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के प्रबंध अध्ययन विभाग की ओर से किए गए शोध में सामने आई है।
शुरुआत में प्रदेश के जिन नौ उत्पादों को जीआइ टैग मिले, उनमें से तीन उत्पादों को छोड़ दें तो कुछ उत्पादों में उससे जुड़े लोगों की संख्या में कमी आई तो कुछ में संख्या पूर्व की भांति ही बनी हुई है।
इनसे जुड़े लोगों को आर्थिक लाभ भी नहीं हुआ।
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