Covid-19: कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट से हो रहे साइलेंट हार्ट अटैक, IIT इंदौर ने जारी की चिंताजनक रिपोर्ट

इस शोध का नेतृत्व आईआईटी इंदौर के डा. हेमचंद्र झा और केआइएमएस भुवनेश्वर के डा. निर्मल कुमार मोहकुद ने किया।

रोगी के डाटा का विश्लेषण आइआइटी प्रयागराज की प्रोफेसर सोनाली अग्रवाल के मार्गदर्शन में किया गया। इस अध्ययन में बुद्धदेव बराल, वैशाली सैनी, सिद्धार्थ सिंह, तरुण प्रकाश वर्मा, देब कुमार रथ, ज्योतिर्मयी बाहिनीपति, प्रियदर्शिनी पांडा, शुभ्रांशु पात्रो, नम्रता मिश्रा, मानस रंजन बेहरा, कार्तिक मुदुली, हेमेंद्र ¨सह परमार, अजय कुमार मीना और सौम्या आर. महापात्रा भी शामिल हैं। फेफड़े का भी किया अध्ययन शोधकर्ताओं ने वायरस के प्रभाव को समझने के लिए मरीजों के डाटा के अलावा स्पाइक प्रोटीन के संपर्क में आने वाले फेफड़े और कोलन कोशिकाओं का भी अध्ययन किया।

इसमें पाया गया कि डेल्टा वैरिएंट से शरीर के रासायनिक संतुलन में सबसे महत्वपूर्ण व्यवधान उत्पन्न हुआ। मेटा एनालिसिस का भी समर्थन मिला इसने कैटेकोलामाइन और थायराइड हार्मोन उत्पादन से संबंधित मार्गों को प्रभावित किया, जिससे साइलेंट हार्ट फेलियर और थायराइड जैसी समस्याएं हुई हैं।

इस निष्कर्ष को मेटा एनालिसिस का भी समर्थन मिला, जो यूरिया और अमीनो एसिड मेटाबोलिज्म में गड़बड़ी की ओर इशारा करता है। इस अध्ययन में मल्टी-ओमिक्स और रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी उन्नत तकनीकों को भी शामिल किया गया, जिनका उपयोग इन व्यवधानों को मैप करने के लिए किया गया था।

इस शोध से कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभाव को समझना बेहतर स्वास्थ्य सेवा और उपचार के लिए महत्वपूर्ण है।

- प्रोफेसर सुहास एस. जोशी, निदेशक, आइआइटी इंदौर। हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि कोविड-19 के विभिन्न वैरिएंट शरीर को किस तरह से प्रभावित करते हैं, खासकर डेल्टा वैरिएंट, जिसने मेटाबालिज्म और हार्मोनल मार्गों में बड़े व्यवधान पैदा किए।

यह शोध लंबे समय तक रहने वाले कोविड लक्षणों को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए सटीक निदान और उपचार विकसित करने में मदद कर सकता है।

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