Rajasthan: जातियों की गणित, प्रत्याशियों के चयन और अपनों को ही ठिकाने में उलझी रही भाजपा, BJP संगठन की निष्क्रियता व कांग्रेस की एकजुटता का भी असर

पार्टी ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को झालावाड़ तक सीमित रख दिया।

पूरे चुनाव अभियान में ना तो भाजपा का पन्ना प्रमुख नजर आया और ना ही मंडल के पदाधिकारी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने भी इस बार अधिक दिलचस्पी नहीं ली।

मतदाताओं तक पर्ची पहुंचाने में हमेशा आगे रहने वाली भाजपा की पर्ची इस बार अधिकांश लोकसभा क्षेत्रों में नहीं पहुंची।

दूसरी तरफ कांग्रेस एकजुट रही।

जातिगत समीकरणों को साधकर टिकट तय किए। गठबंधन को प्राथमिकता देते हुए तीन सीटें आईएनडीआईए में शामिल दलों के लिए छोड़ी।

पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पूरे चुनाव अभियान की कमान संभाली।

कांग्रेस के जो आठ सांसद चुनाव जीते हैं, उनमें से छह के टिकट की पैरवी पायलट ने की थी।

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