राजस्थान HC का आदेश- जजों को नहीं कहें ‘माय लॉर्ड’ या ‘योर लॉर्डशिप’

संक्षेप:

  • अब राजस्थान हाईकोर्ट ने भी न्यायाधीशों को ‘माई लॉर्ड’ या ‘योर ऑनर’ के रूप में संबोधित नहीं करने को लेकर फुलकोर्ट की बैठक में फैसला लिया गया.
  • ये संभवतया पहली बार है जब किसी हाइकोर्ट ने इन शब्दों के प्रयोग नहीं करने को लेकर आधिकारिक आदेश जारी किया है.
  • देश के अन्य हाई कोर्ट को भी राजस्थान हाई कोर्ट के इस निर्णय का अनुसरण करना चाहिए.

जयपुर: अब राजस्थान हाईकोर्ट ने भी न्यायाधीशों को ‘माई लॉर्ड’ या ‘योर ऑनर’ के रूप में संबोधित नहीं करने को लेकर फुलकोर्ट की बैठक में फैसला लिया गया. राजस्थान हाई कोर्ट सीजे एस रविन्द्र भट्ट की अध्यक्षता में रविवार को हुई फुल कोर्ट की बैठक में निर्णय के बाद इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किए.

ये संभवतया पहली बार है जब किसी हाइकोर्ट ने इन शब्दों के प्रयोग नहीं करने को लेकर आधिकारिक आदेश जारी किया है. फुल कोर्ट के निर्णय के बाद सोमवार को अदालत शुरू होते ही हाइकोर्ट प्रशासन ने आदेश जारी करते हुए इन शब्दों से वकीलों को दूरी बनाने को कहा. हाइकोर्ट रजिस्ट्रार सतीश कुमार शर्मा ने कहा कि, कॉउंसिल की ओर से आये प्रतिवेदन पर फुल कोर्ट ने इन शब्दों को प्रयोग नही करने का निर्णय लिया है, लेकिन निश्चित ही जजों को ‘सम्मान’ और ‘गरिमापूर्ण’ तरीके से संबोधित किया जाना चाहिए.

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न्यायालय ने कहा कि, न्यायाधीशों के प्रति ‘सर’ का संबोधन भी स्वीकार्य है. राजस्थान हाईकोर्ट फुल कोर्ट के उस निर्णय का वकीलों ने भी स्वागत करते हुए कहा कि निश्चित रूप से सीजे की पहल सराहनीय कदम है. देश के अन्य हाई कोर्ट को भी राजस्थान हाई कोर्ट के इस निर्णय का अनुसरण करना चाहिए.
वकीलों का कहना है कि, जज के प्रति सम्मान जनक शब्दों का इस्तेमाल ओर प्रयोग जरूरी है. लेकिन अंग्रेजो के समय से प्रचलित यह शब्द अंग्रेजो की देन थी और यह गुलामी का प्रतीक थे. ऐसे में वकीलों ने सीजे एस रविन्द्र भट्ट के इस निर्णय का स्वागत करते हुए एक अच्छी पहल करार दिया.

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