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Rajasthan: क्यों आत्महत्या की फैक्ट्री बन रहा कोटा? पढ़ाई का दबाव या कुछ और... तीन दिन में दो घरों के बुझ गए चिराग
- न्यूज़
- Tuesday | 30th April, 2024
, जयपुर।
देश में कोचिंग हब के रूप में प्रसिद्ध राजस्थान के कोटा में छात्र-छात्राओं की आत्महत्या की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
कोटा में प्रतिवर्ष करीब दो लाख से अधिक छात्र-छात्राएं मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचते हैं।
इनमें से कुछ सफल हो जाते हैं,लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जो यह दबाव नहीं झेल पाते और अपने जीवन को समाप्त कर लेते हैं।
आत्महत्या के आंकड़ो से प्रशासन परेशान स्टूडेंट्स पर कोचिंग संस्थानों से होने वाला दबाव भारी पड़ता है, क्योंकि प्रत्येक छात्र-छात्राएं मानसिक तौर पर मजबूत हो ये जरूरी नहीं है।
कोटा में छात्र-छात्राओं की आत्महत्या के आंकड़ो ने प्रशासन को हिला दिया है।
इस वजह से उठा रहे आत्महत्या जैसा कदम सुबह छह बजे से लेकर देर शाम तक कोचिंग संस्थानों क्लास, फिर रात को खुद की पढ़ाई, सप्ताह में एक से दो बार टेस्ट, अभिभावकों की उम्मीदों और साथियों के साथ प्रतिस्पर्धा के दबाव के कारण छात्र-छात्राएं आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे है। पिछले साल 29 स्टूडेंट्स ने की आत्महत्या इस साल में चार महीनों में अब तक पांच छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या की है।
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