Tata Steel Adventure Foundation के मोहन रावत ने एवरेस्ट शिखर पर लहराया तिरंगा, अब हर जगह हो रही वाहवाही

14 मई को उन्होंने अंतिम समिट पुश प्रारंभ किया, खतरनाक खुम्बू आइसफाल पार करते हुए रविवार को एवरेस्ट फतह की।

इस अभियान में उनके साथ अनुभवी शेरपा लाख्पा शेरपा थे और नेपाल स्थित एशियन ट्रेकिंग का सहयोग प्राप्त था। टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट और टीएसएएफ के चेयरमैन डीबी सुंदरा रामम ने इस सफलता को टीएसएएफ की साहसिक विरासत का गौरवशाली विस्तार बताया।मोहन की यह चढ़ाई मात्र एक भौगोलिक विजय नहीं, बल्कि जीवन की उस उत्कंठ यात्रा का प्रतीक है, जहां एक राफ्टिंग गाइड से एवरेस्ट विजेता तक का फासला केवल आत्मबल, अनुशासन और दृढ़ निश्चय से तय होता है।मैगी की छोटी सी दुकान से निकलकर ट्रांस-हिमालयन अभियान और मिशन गंगे तक का उनका सफर, भारतीय साहसिक परंपरा में मील का पत्थर है। टीएसएएफ से दो दशक पुराने जुड़ाव के दौरान मोहन ने चामसर, लुंगसर कांगड़ी, भागीरथी II, स्टोक कांगड़ी, माउंट रुदुगैरा, जो जोंगो जैसी दुर्गम चोटियों पर विजय प्राप्त की है।एवरेस्ट के लिए उन्होंने लेह में शीतकालीन प्रशिक्षण, ट्रिपल पास चैलेंज (दारवा-बाली-बोरासू पास) जैसे अभियानों से खुद को मानसिक व शारीरिक रूप से तैयार किया।

मोहन की यह विजय हिमालय से कहती है, जो पर्वतों से प्रेम करता है, वही उनसे पार पा सकता है। यह भी पढ़ें-ट्रेन में यात्री ने की AC कूलिंग न होने की शिकायत, आउटसोर्सिंग कर्मी बोला- AK 47 से कर देंगे शूट ।

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