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`शादी नहीं करूंगी...`, दामिनी के हौसले का कमाल, बन गई ऐसा करने वाली गुलगुलिया जाति की पहली छात्रा
- न्यूज़
- Friday | 6th June, 2025
सुविधाओं के अभाव से जूझ रही दामिनी को अगर जाति प्रमाण पत्र मिल जाए तो उसकी आगे की पढ़ाई की राह आसान हो सकती है।मगर उसके पास अपनी कोई जमीन या घर नहीं है।
वह जिस जाति से आती है वह अंचल कार्यालय में सूचीबद्ध भी नहीं है।सबर के नाम पर इन्हें अंत्योदय योजना के तहत अनाज तो मिलता है लेकिन कोई दूसरा फायदा नहीं मिलता।
शुक्रवार को दामिनी ने जाति प्रमाण पत्र की समस्या को लेकर स्थानीय बीडीओ आरती मुंडा से मुलाकात की। उसने जिला के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी को भी अपनी समस्या व्हाट्सएप पर भेजी है।
जिस पर संज्ञान लेते हुए उपायुक्त ने जाति प्रमाण पत्र से संबंधित आवेदन भेजने को कहा है।
दामिनी ने आवेदन जमा कर इसकी तस्वीर डीसी को भेज दी है।बीडीओ आरती मुंडा को अपनी समस्या बताती छात्रा।
जागरण बाल विवाह से कर चुकी है इनकारमैट्रिक पास करने के बाद ही दामिनी के परिवार वालों ने उसकी शादी तय कर दी थी।
आमतौर पर इस समुदाय की बच्चियों की शादी कम उम्र में ही हो जाती है।
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