Jhansi Medical College : आसान नहीं रहता प्री मैच्योर डिलिवरी से जन्मे बच्चे का जीवन

शोध में यह पाया गया अध्ययन में यह पाया गया कि 20-25 वर्ष की उम्र की महिलाएं सर्वाधिक (30.2 प्रतिशत) थीं।

जिन महिलाओं की गर्भाशय ग्रीवा की लम्बाई 25 मिमी से कम थी, उनकी संख्या 36.4 प्रतिशत थी और यह समय से पहले प्रसव से काफी जुड़ा पाया गया।

वहीं, 50.6 प्रतिशत महिलाओं में फीटल फाइब्रोनेक्टिन स्तर 100 एनजी/एमएल से अधिक पाया गया, जो इसे एक प्रभावशाली संकेतक बनाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार यह शोध बताता है कि समयपूर्व प्रसव का जोखिम पहचानने में मील का पत्थर है।

भविष्य में अन्य बायोमार्करों (सामान्य या असामान्य जैविक प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं), उन्नत मशीन लर्निंग तकनीक और व्यक्तिगत जोखिम मूल्यांकन विधियों के माध्यम से मॉडल की सटीकता बढ़ाई जा सकती है। ।

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