जेएनवीयू को मिली एक और उपलब्धि, इटली के साथ मिलकर विकसित किए सेंसर से कैंसरकारक टॉक्सिन की होगी पड़ताल

गजेंद्रसिंह दहिया/जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय ने इटली स्थित रोम विश्वविद्यालय के साथ मिलकर अफलाटॉक्सिन तत्व का सेंसर विकसित किया है।

इसके जरिए दूध सहित अन्य खाद्य पदार्थों में अफलाटॉक्सिन का रियल टाइम टेस्ट संभव है।

हालांकि राहत की बात यह है कि राजस्थान में गाय-बकरी के खुले दूध और एक कंपनी के पैकेज्ड दूध में अफलाटॉक्सिन नहीं मिला।

यूरोप में तापमान कम व आद्र्रता अधिक होने से वहां दूध में अफलाटॉक्सिन अधिक मिलता है।

ऐसे में यह विधि यूरोपियन देशों के लिए काफी फायदेमंद रहेगी।

यूरोपियन यूनियन और भारत के विज्ञान और तकनीकी विभाग (डीएसटी) के संयुक्त तत्वावधान में चलाए जा रहे टेको प्रोजेक्ट 2015- 2018 के लिए (टेक्नोलॉजिकल ईको इनोवेशन फॉर क्वालिटी कंट्रोल एण्ड डी-कंटामिनेशन ऑफ पॉल्यूटेड वाटर एण्ड सॉइल) के अंतर्गत रोम विवि में केमिकल साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. लौरा मिकैली को जोधपुर स्थित जेएनवीयू भेजा गया।

डॉ. लौरा ने यहां रसायन विज्ञान की प्रो. सुनीता कुंभट के साथ नैनो बायो सेंसर लेबोरेट्री में एक महीने काम कर ‘स्क्रीन प्रिंटेड इलेक्ट्रो केमिकल सेंसर फॉर अल्फाटॉक्सिन मॉनिटरिंग’ विधि विकसित की।

इस विधि से दूध की जांच के लिए दूध को सेंट्रिफ्यूज में डालकर तेजी से घूमाया गया, जिससे प्रोटीन अलग हो गया।

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