ठेकेदार ने खुदकुशी की, सुसाइड नोट में नगर निकाय अधिकारियों पर लगाए आरोप

जोधपुर, पांच नवंबर (भाषा) राजस्थान के जोधपुर के रोहेत थाना क्षेत्र अंतर्गत धाबार गांव में एक नागरिक ठेकेदार ने अपने घर में कथित रूप से फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली।

पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।

पुलिस ने बताया कि मृतक की पहचान हनुमान सिंह राजपुरोहित (55) के तौर पर हुई है।

पुलिस ने दो पन्नों का सुसाइड नोट बरामद किया है जिसमें राजपुरोहित ने पाली के नगर परिषद की अध्यक्ष और आयुक्त के साथ-साथ लेखा विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाए हैं।

साथ में परिषद की अध्यक्ष के पति के खिलाफ भी आरोप लगाए हैं।

पुलिस के मुताबिक उनका दो करोड़ रुपये का भुगतान लंबे समय से नगर परिषद पर बकाया है।

सुसाइड नोट में पीड़ित ने कहा कि परिषद की अध्यक्ष रेखा भाटी और आयुक्त ब्रजेश राय उनसे भारी कमीशन की मांग कर रहे थे और पिछले दो तीन सालों से उनके बकाया भुगतान भी नहीं किया था।

सुसाइड नोट में ठेकदार ने कहा कि वह बैंक का कर्ज नहीं चुका पाया और उसके पास आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।

हालांकि परिषद की अध्यक्ष रेखा भाटी ने कहा कि समिति ने बकाया भुगतान करने का आदेश दिया था और इसे 28 अक्टूबर को भी जारी किया था लेकिन सरकार से पैसा नहीं मिलने की वजह से भुगतान नहीं हो सका।

भाटी ने कहा, “ हम घटना से दुखी हैं और ठेकेदार के साथ हैं।

मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।”

सुसाइड नोट के आरोपों की जानकारी होने के बाद कई ठेकेदार मुर्दाघर में एकत्रित हो गए और उन्होंने शव को लेने से इनकार कर दिया।

उन्होंने मांग की कि पत्र में जिन पर आरोप लगाया गया है उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए और उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए।

पुलिस अधीक्षक (एसपी) गगन दीप सिंगला ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा के तहत शुक्रवार रात को मामला दर्ज किया गया है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

सिंगला ने कहा, “ शव अब भी मुर्दाघर में है और उसका अंत्यपरीक्षण किया जाना है।

परिवार ने अभी तक शव नहीं लिया है और वे समुदाय के सदस्यों के साथ मुर्दाघर में धरने पर बैठे हैं।

हमें अब तक कोई मांग नहीं मिली है।”

भाषा नोमान पवनेश

पवनेश

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

डिसक्लेमर :ऊपर व्यक्त विचार इंडिपेंडेंट NEWS कंट्रीब्यूटर के अपने हैं,
अगर आप का इस से कोई भी मतभेद हो तो निचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिखे।