पारिवारिक संपत्ति बिक्री मामले में पूर्व सांसद और मंत्री समेत 12 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी खारिज

जोधपुर, सात अक्टूबर (भाषा) राजस्थान उच्च न्यायालय ने नागौर की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा द्वारा अपने चाचा और पूर्व राज्य पर्यटन मंत्री उषा पूनिया समेत 12 अन्य लोगों पर संपत्ति के एक हिस्से को उन्हें अंधेरे में रखकर बेचने संबंधी दर्ज कराई गई प्राथमिकी को खारिज कर दिया।

न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने प्राथमिकी रद्द करने का आग्रह करने वाली याचिकाकर्ताओं की याचिका को अनुमति देते हुए बुधवार को कहा कि इस मामले में लगाए गए आरोप से न तो प्रथम दृष्टया कोई अपराध बनता है और न ही यह प्रतीत होता है कि कोई अपराध हुआ है।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि संपत्ति उसके चाचा एवं पूर्व सांसद भानु प्रकाश मिर्धा ने बिना उनके पिता की सूचना के बेची थी।

लेकिन अदालत ने यह पाया कि शिकायतकर्ता को 1988 में निष्पादित संपत्ति की बिक्री की जानकारी थी।

अदालत ने आगे कहा कि 1988 में निष्पादित बिक्री विलेख को जो चुनौती दी गई है वह स्पष्ट रूप से कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है क्योंकि 1999 में जब बटवारा मुकदमा दायर किया गया था तो शिकायतकर्ता को इसकी जानकारी थी।

अदालत ने इसे संज्ञान में रखते हुए कहा कि शिकायतकर्ता की ओर से उसके चाचा द्वारा बेची गई संपत्ति में आधे हिस्से का दावा करने के लिए शिकायत करना दुस्साहस है।

अदालत ने यह भी कहा कि मौजूदा शिकायत काफी विलंब से दायर की गई और याचिकाकर्ता द्वारा यह कहा जाना कि उन्हें बटवारा मुकदमा के दौरान 2018 में इसकी जनकारी मिली यह सच नहीं है।

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