कांकेर: मुर्गा लड़ाई देखने के शौक के कारण चल गई जवान की जान, नक्सली अब तक इतने जवान की कर चुके हैं हत्या

संक्षेप:

कांकेर में परतापपुर के सलिहापारा में मुर्गा लड़ाई देखने गए डीआरजी जवान की नक्सलियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। गोलीबारी के दौरान मुर्गा लड़ाई देख रहे एक ग्रामीण को भी गोली लगी जिसे इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

कांकेर: कांकेर में परतापपुर के सलिहापारा में मुर्गा लड़ाई देखने गए डीआरजी जवान की नक्सलियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। गोलीबारी के दौरान मुर्गा लड़ाई देख रहे एक ग्रामीण को भी गोली लगी जिसे इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जवान सुबह से किसी को बिना बताए कैंप से गायब था। उसकी हत्या के बाद पुलिस को सूचना मिली।

हाल ही में स्थापित करकाघाट कैंप में जवान सुकालूराम पद्दा 40 वर्ष की तैनाती की गई थी। जवान 30 जनवरी सुबह से कैंप से गायब था। जवान ने जैसे ही मुर्गा पर दांव लगाया घात लगाए बैठे नक्सलियों ने शाम 4.30 बजे पहला फायर किया। गोली सिर में लगी और कान की तरफ से निकल गई। जवान गिर गया। नक्सलियों ने दूसरा फायर किया, गोली ग्रामीण के हाथ में लगी।

जवान सुकालू दुग्गा को मुर्गा लड़ाई का काफी शौक था। वह लड़ाई वाले मुर्गों को काती (पैर में बांधे जाने वाला तेज चाकू) भी बांधता था। शौक उस पर इस कदर हावी था कि वह इलाके का कोई भी मुर्गा बाजार नहीं छोड़ता था। जवान की इसी कमजोरी की जानकारी नक्सलियों को थी। नक्सली जवान की रेकी कर रहे थे।

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जवान की रेकी करने के बाद नक्सलियों की स्मॉल एक्शन टीम उसकी हत्या के लिए मुर्गा बाजार पहुंची थी। इनके पास देशी कट्‌टा था। एक नक्सली ने जवान को टार्गेट कर फायर किया। गोली चलते ही वहां भगदड़ मच गई। नक्सली मौका देख जंगल की ओर भागे। नक्सलियों की संख्या 3 बताई जा रही है।

नक्सली हमले में परतापुर निवासी मुरहाराम टांडिया 60 साल के दाएं हाथ में गोली लगी जो आर पार हो गई। मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने घायल को बाइक से पखांजूर अस्पताल पहुंचाया। प्राथमिक उपचार के बाद ग्रामीण को जिला अस्पताल रेफर किया गया। घायल ग्रामीण के बेटे की 31 जनवरी को सगाई है।

जिले के कृगांलमेस्पी निवासी सुकालुराम दुग्गा हले नक्सली संगठन में काम कर रहा था। वहां मोहभंग होने के बाद 2007 में आत्मसमर्पण किया। पुलिस के साथ काम करते उसने कई कामयाबी भी दिलाई। बेहतर कार्य को देखते 2013 में से सहायक आरक्षक बनाया गया। इसके बाद से वह नक्सली इलाकों में तैनात है। इलाके के चप्पे चप्पे की जानकारी होने के कारण उसे डीआरजी टीम में भी शामिल किया गया।

नक्सल इलाके में तैनात जवान पहले भी इसी तरह लापरवाही से जवान गंवा चुके हैं। जवानों की लापरवाही का फायदा उठाने नक्सलियों ने स्मॉल एक्शन टीम बनाई है जो इस प्रकार वारदात को अंजाम देती है। एसडीओपी मयंक तिवारी ने बताया जवान बिना सूचना करकाघाट कैंप से बाहर गया था। वारदात में शामिल नक्सलियों की तलाश कर रहे है।

12 जून 2010
बांदे थाना में पदस्थ एएसआई शिव कुमार मंडावी को दिन दहाड़े बाजार में गोली मारी।
5 मई 2011
बांदे मिशन स्कूल के पीछे प्रधान आरक्षक अंजोर सिंह यादव की हत्या।
13 मई 2012
बांदे में एसआई दिलीप सिन्हा की धोबी चौंक में हत्या।
28 जून 2014
बांदे साप्ताहिक बाजार में शराब खरीदने पहुंचे गोपनीय सैनिक दुर्गू आंचला की हत्या।
12 फरवरी 2016
संगम बीएसएफ कैंप के खुफिया विभाग में तैनात जवान हरिकेश प्रसाद की बाजार में हत्या।
30 जनवरी 2021
परतापपुर मुर्गा बाजार में डीआरजी जवान सुकालू पद्दा की हत्या।

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