कांकेर में किसानों को नहीं मिल रहा धान का भुगतान, हर दिन हो रहे हैं परेशान

संक्षेप:

एक तरफ पूरे देश भर के किसान एमएसपी को लेकर परेशान हैं और सरकार से इसकी गारंटी मांग रहे हैं तो वहीं छत्तीसगढ़ के कांकेर में कई तरह की परेशानियां झेलने के बाद जब किसानों ने अपना धान बेचा तो अब उन्हें भुगतान के लिए परेशान होना पड़ रहा है।

कांकेर: एक तरफ पूरे देश भर के किसान एमएसपी को लेकर परेशान हैं और सरकार से इसकी गारंटी मांग रहे हैं तो वहीं छत्तीसगढ़ के कांकेर में कई तरह की परेशानियां झेलने के बाद जब किसानों ने अपना धान बेचा तो अब उन्हें भुगतान के लिए परेशान होना पड़ रहा है।

बारदाने नहीं होने के कारण उन्हें खरीदी केंद्रों से बार-बार लौटना पड़ा। अब वे भुगतान के लिए जिला सहकारी बैंक में घंटों लाइन लगाने के लिए मजबूर हैं। पहले ही बैंक से किसानों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल रहीं है। अब बैंक में भुगतान के लिए एक ही काउंटर दिए जाने के कारण वे खासे परेशान हैं। किसानों ने कहा कि जिस तरह धान बेचने के लिए किसानों को अब केेंद्र में लाइन नहीं लगाना पड़ता है, टोकन मिलने से सुविधा है, वैसे ही भुगतान के लिए भी सरकार को बैंक में व्यवस्था करनी चाहिए। यदि प्रबंधन काउंटर बढ़ा दे तो यह समस्या खत्म हो जाएगी। जिला सहकारी बैंक में धान खरीदी शुरू होने के बाद से ही पैसा निकालने को लेकर समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिला मुख्यालय की शाखा में धान का भुगतान करने के लिए एक मात्र काउंटर बनाया गया है। जहां सुबह से किसानों की लाइन लगनी शुरू हो जाती है। आलम यह है कि किसानों को दो तीन घंटे खड़े होने के बाद भुगतान हो रहा है। जबकि भीड़ अधिक होने के कारण कई किसानों को बिना पैसे लिए निराश होकर वापस लौटना पड़ रहा है। ग्राम सरंगपाल के किसान दिलीप सलाम, नंदनमारा के कृष्ण कुमार सिन्हा, सुभैया मुड़पार के नंदकुमार साहू, ग्राम बागोडार के मिश्री लाल जैन ने कहा सुबह 11 बजे से लाइन में खड़े हैं। दो घंटे हो गए लेकिन अब तक भुगतान नहीं हो पाया है। धान खरीदी के दौरान दो काउंटर होना चाहिए जिससे किसानों को राहत मिले। इसके अलावा बैंक से पूरी सुविधा नहीं मिलने के कारण भी किसान परेशान है। कई किसानों का संयुक्त खाता नहीं बन पा रहा है जिसकी वजह से बुजुर्गों को भी पैसे निकालने बैंक पहुंच घंटों लाइन में लग परेशान होना पड़ रहा है।

रकम पाने कोरोना के खतरों के बीच हैं किसान

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धान की रकम पाने बैंक आने वाले अधिकांश किसान कोरोना के खतरे के बीच हैं। यहां पहुंचने वाले किसान न तो मास्क लगा रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर रहे हैं। जिससे कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।

बढ़ाए जाएंगे काउंटर

जिला सहकारी बैंक प्रबंधक हरक राम नाग ने कहा कि जरूरत के हिसाब से काउंटर बढ़ाए जाएंगे। शाम तक सभी को काउंटर से राशि भुगतान कर दिया जाता है। एक दिन में एक ही लैंपस के किसानों को पहुंचना है लेकिन दूसरे लैंपसों के भी किसान पहुंच जाते हैं जिससे अव्यवस्था होती है।

जिनके पास एटीएम, उन्हें इसका उपयोग नहीं आता

काउंटर में लाइन लगने का दूसरा सबसे बड़ा कारण एटीएम कार्ड जारी नहीं होना है। कांकेर जिला सहकारी मर्यादित बैंक अंतर्गत 5 लैंपसों के 16 हजार किसानों का खाता है। लेकिन मात्र 6 हजार किसानों को ही एटीएम कार्ड जारी किया गया है। कार्डधारी कम होने के कारण वे भुगतान के लिए काउंटर में लाइन लगा रहे हैं। जिन किसानों को एटीएम जारी किया गया है उसमें अधिकांश किसान एेसे हैं कि उन्हें एटीएम का उपयोग करना ही नहीं आता है। ठगी के डर के कारण वे भी काउंटर पर लाइन लगा रहे हैं।

इधर सहकारी बैंक खोलने आमाबेड़ा में निकाली रैली

जिले के अंदरुनी इलाकों के कस्बों में किसान बैंक व अन्य सुविधा मुहैया कराने बार बार मांग कर रहे हैं। इसी मांग को लेकर आमाबेड़ा इलाके में किसानों ने बुधवार को रैली निकाल प्रदर्शन कर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। जिसमें आमाबेड़ा में जिला सहकारी बैंक खोलने, धान खरीदी केंद्र में पर्याप्त बारदाना उपलब्ध कराने, नागरबेड़ा व अर्रा में खरीदी केंद्र बनाने के अलावा आमाबेड़ा को तहसील का दर्जा देने व इलाके में सड़क बनाने की मांग की गई ह

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