दिल्ली में कृत्रिम वर्षा कराने के लिए आइआइटी कानपुर तैयार; बनाई खास तकनीकी

प्रो. अग्रवाल ने बताया कि कृत्रिम वर्षा तकनीक में विमान बादलों के नीचे उड़ान भरता है।

विमान के पंखों पर फुलझड़ी छोड़ने जैसे उपकरण लगाए गए हैं, जिनसे गर्म हवा को वायु मंडल में छोड़ा जाता है।

इसके साथ आइआइटी में तैयार विशेष प्रकार के मिश्रण का छिड़काव किया जाता है जिनका आकार पांच से 10 माइक्रॉन है।

वे इतने हल्के हैं कि हवा की गर्मी के साथ ऊपर उठकर बादलों में मिल जाते हैं और उनमें मौजूद पानी को अपनी ओर खींचते हैं।

इससे पानी एकत्र होकर बरसना शुरू हो जाता है।

कृत्रिम वर्षा के लिए आमतौर पर सिल्वर आयोडाइड का प्रयोग होता है लेकिन आइआइटी अपने यहां तैयार विशेष मिश्रण का प्रयोग करता है।

आइआइटी टीम ने प्रोजेक्ट पर 2017 में काम शुरू किया था और पूरी तरह से सफलता 2023 में मिली है। इसे भी पढ़ें- कानपुर में खाद्य टीम को लेना पड़ा पैरा पैरामिलिट्री फोर्स का सहारा, मांस की कई दुकानें कराई बंद; मची खलबली ।

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