छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोरबा (Korba) जिले के 16 सौ छात्र ऐसे हैं जो एडमिशन के बाद स्कूल (School) ही नहीं पहुंचे

कोरबा. डेढ़ महीने बाद बोर्ड परीक्षा (Board Exam) होनी हैं. ऐसे में शिक्षा विभाग की टेंशन बढ़ गई है. अब इन बच्चों को जनभागीदारी समिति के माध्यम से स्कूल भेजने की तैयारी की जा रही है. ताकि बच्चे किसी तरह पास होने की स्थिति में पहुंच सकें. जिला शिक्षा अधिकारी (District Education Officer) ने सभी हाईस्कूल व हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्योंं की बैठक लेकर समीक्षा की. इसके बाद ये निर्देश दिए गए. कोरबा (Korba) में डीईओ (DEO) द्वारा ली गई समीक्षा में सभी प्राचार्यों ने बताया कि उनके स्कूल में 5 से 10 ऐसे छात्र-छात्राएं हैं जो कि एडमिशन के बाद से नहीं आ रहे हैं. कुछ ऐसे भी छात्र हैं जो कि गिनती के दिन ही स्कूल पहुंचे हैं. इन छात्र-छात्राओं के फेल होने की सबसे अधिक आशंका है. अब शिक्षा विभाग ने इन छात्र-छात्राओं को डेढ़ महीने नियमित तौर पर स्कूल लेकर आने की तैयारी की है. अब जनभागीदारी समिति को इसके लिए शिक्षा विभाग ने पत्र जारी कर कहा कि वे ऐसे बच्चोंं को स्कूल लाने के लिए सहयोग करें. ताकि बच्चे पास होने की श्रेणी में पहुंच सकें. 10वीं क्लास में 11 सौ स्टूडेंट कोरबा के जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पांडेय ने बताया कि ऐसे छात्र-छात्राएं जो कि स्कूल नियमित तौर पर नहीं आ रहे हैं, उनमें सबसे अधिक कक्षा 10वीं के 11सौ तो कक्षा 12वीं के 500 छात्र-छात्राएं शामिल हैं. हर स्कूल में औसतन 5 से 10 विद्यार्थी हैं, जो एडमिशन के बाद स्कूल पहुंचे ही नहीं. बोर्ड परीक्षा को लेकर शिक्षा विभाग ने 90 फीसदी रिजल्ट का टार्गेट रखा है. ऐसे में ये छात्र अगर फेल हो जाते हैं तो रिजल्ट प्रभावित होगा. अधिकांश छात्र-छात्राओंं की कुल 75 फीसदी हाजिरी भी नहीं है. बोर्ड का स्पष्ट निर्देश है कि अगर इससे कम हाजिरी होती है तो बोर्ड परीक्षा में शामिल होने से वंचित हो सकते हैं. जनभागीदारी समिति के माध्यम से ये बच्चे अगर स्कूल नहीं आते हैं तो उनकी हाजिरी का औसत कम ही रहेगा. ऐसे में इनको परीक्षा से वंचित भी किया जा सकता है.ये भी पढ़ें: बलरामपुर में पत्नी से विवाद के बाद पति ने खुद को मारी गोली, मौत  रेलवे में नौकरी के नाम पर बेरोजगारों से बिलासपुर में लाखों रुपये की ठगी, जांच शुरू ।

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