जानिये क्या है लखनऊ के 178 साल पुराने लेटे हुए हनुमान जी का रहस्य ?

संक्षेप:

  • इस मंदिर में हनुमान के पुत्र भी हैं विराजमान
  • बच्चे, महिलायें सभी करते हैं सिन्दूर अर्पित
  • त्रेतायुग के समय की गाथा से जुड़ा है मंदिर

रिपोर्ट - शान्तनु त्रिपाठी

लखनऊ। कुछ चीजों को संसार में देखकर ऐसा लगता है कि यह इतिहास रचने के लिए ही इस धरती पर आई हैं फिर चाहें वो कोई इंसान हो या इमारत या दरगाह या फिर मंदिर। आपको बता दें कि राजधानी लखनऊ में एक हनुमान जी का मंदिर है अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें नयी बात क्या है हनुमान के तो पूरे देश में अनेकों मंदिर हैं।

लेकिन आपको बता दें कि हनुमान की यह प्रतिमा है जिसमें हनुमान विश्राम की मुद्रा में हैं और साथ ही उनके प्रभु श्री राम एवं उनके भाई लक्षमण हैं। इन दोनों देवों के अलावा हनुमान के पुत्र मकरध्वज भी उनके चरणों के पास मौजूद हैं। इस मंदिर की विशेष बातों को जानने के लिए NYOOOZ ने इस मंदिर के अध्यक्ष एवं ट्रस्टी सुनील गोम्बर से बात की तो कई महत्वपूर्ण बातों का पता चला. उन्होंने बताया कि यह मंदिर 175 वर्ष पूर्व का माना जाता है यह केवल एक अनुमान ही है सही समय किसी को भी ज्ञात नहीं है. यह मंदिर राजधानी के चौक क्षेत्र के पास उपस्थित है।

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बताते हैं कि हो सकता है कि हनुमान जी की मूर्ति या कहें मंदिर आपके घर के पड़ोस में ही हो या फिर आपके घर में ही हो लेकिन इसमें एक बात है जो हनुमान के सभी मंदिरों को इस मंदिर से अलग करती है वो है कि यहां 6 फीट के हनुमान जी जो लेते हैं उनके बांये कांधे पर प्रभु श्रीराम हैं और दायें कांधे पर उनके भाई लक्षमणजी विराजमान हैं.

पुत्र भी है विराजमान
सिर्फ राम और लक्षमण जी ही नहीं बल्कि हनुमान के बायें चरण में उनके पुत्र मकरध्वज तथा दायें चरण में अहिरावण की बहन दुरातांदी भी विराजमान है. जब NYOOOZ ने पूछा कि यहां इस पवन पुत्र के मंदिर में अहिरावण की बहन का क्या काम तो गोम्बर जी ने बताया कि दुरातांदी ने पाताल लोक में अहिरावण तक पहुंचने में हनुमानजी की सहायता की थी.

इस नाम से भी जाने जाते हैं पवन पुत्र
यहां पर विराजमान पवन पुत्र को अहिमर्दन पातालपुरी बाबा के नाम से भी जाना जाता है लेकिन इस रहस्य को बहुत ही कम लोग जानते हैं ज्यादातर लोग लेते हुए हनुमान के नाम से ही जानते हैं. पुराने जानकर लोगों ने बताया कि यह बात त्रेतायुग की है जब श्री राम और लक्ष्मण को अहिरावण पाताल लोक बलि देने के लिए उठा ले गया था।

सूचना मिलते ही हनुमान जी उनको अपने बल और पराक्रम से मुक्त करा पाताल लोक से वापस ले आये थे. पताला लोक पहुंचकर हनुमानजी और अहिरावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ और अपने बल पर हनुमान दोनों देवों को वहां से वापस ले आये. हनुमान जी ने अहिरावण का वध किया और विजय प्राप्त की थी. इसी कारण से उनको अहिमर्दन पातालपुरी बाबा भी कहा जाता है.

जानिए क्या है विशेषता
इस मंदिर में प्रत्येक मंगल हनुमान जी का विशेष रूप से श्रृंगार होता है. यह विश्व का एक मात्र मंदिर है जहां पर प्रत्येक मंगल श्रृंगार के समय प्रांगण में उपस्थित सभी भक्त- पुरुष, महिलायें और बच्चे हनुमानजी को सिंदूर अर्पित करते हैं. वहीं जेठ के मंगल में इस मंदिर में भक्तों की भरी भीड़ रहती है.

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