Ramzan 2018: जानिए कुछ खा-पी लेने के बाद भी क्यों नहीं टूटता रोजा

संक्षेप:

  • तीसरा रोजा आज
  • इस स्थिति में नहीं माना जाएगा रोजा
  • रोजेदार की नियत होनी चाहिए साफ

दुनिया भर में इस समय रमजान का पाक महीना चल रहा है। इस दौरान मुस्लिम समाज के लोग रोजा रखते हैं। रोजा रखने के दौरान रोजेदार कई बार ऐसी स्थिति आ जाता है जब वह समझ नहीं पाता कि उसका रोजा माना जाएगा या नहीं!

इस दुविधा से निकालने के लिए हम आपको बता रहे हैं कब-कब आपका रोजा टूटा हुआ नहीं माना जाता…

  • अगर रोज़ेदार रोजे के दौरान कुछ खा लेता है तो उसका रोज़ा टूटा हुआ माना जाता है लेकिन अगर गलती से कुछ खा या पी लिया जाता है तो इससे रोज़ा नहीं टूटता। रोजेदार की नीयत पाक होना मायने रखता है।
  • मुंह में पानी आना एक बायलॉजिकल प्रॉसेस है, जो हमारे अंगों में नमी बनाए रखने के लिए जरूरी है। इस पानी को निगलने से रोज़ा नहीं टूटता। हां, दांत में फंसा रह गया खाने का कण जानबूझकर निगल लेने से रोज़ा टूटा हुआ माना जाता है।
  • रोज़ा रखने के बाद भी तंबाकू, सिगरेट या शराब की लत न छोड़ पाना और इनका सेवन करने पर रोज़ा नहीं माना जाता है। फिर चाहे आप पूरे महीने रोजा रखते रहें।
  • रोजे को लेकर कई बार संशय हो जाता है कि किस स्थिति में रोजा माना जाएगा और किसमें नहीं। इन्हीं में से एक स्थिति है कि अगर अल्लाह का कोई नेक बंदा सहरी के वक्त (सूरज उगने से पहले का समय) रोजा करने का मन बनाए और सो जाए, फिर उसकी नींद मगरिब (सूरज ढलने के बाद का समय) में खुले तब भी उसका रोज़ा माना जाएगा।
  • कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं जिनमें रोज़ा मकरूह (रोज़ा तो माना जाता है लेकिन उसका पुण्य नहीं मिलता) हो जाता है। इसलिए रोज़े के दौरान पूरी तरह गीले कपड़े पहनने, दांत निकलवाने या ऐसे किसी भी काम से बचना चाहिए, जिससे मुंह में खून आए।
  • अगर किसी स्थिति में कोई खाने की चीज जबरदस्ती रोजेदार के मुंह में ठूंस दे और रोज़ेदार उसे न चाहते हुए भी निगल जाए तो ऐसे में रोजा टूटता नहीं है। अगर किसी धमकी या डर के कारण रोजेदार को कुछ खाना पड़े तब भी रोजा नहीं टूटता है। यहां एक बार फिर रोजेदार की नियत की बात है।

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