पूरे भारत में अलग-अलग नामों से मनाई जाती है मकर संक्रांति

संक्षेप:

  • मकर संक्रांति का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है
  • इस दिन सूर्य मकर राशि में करता है प्रवेश
  • खिचड़ी के त्योहार पर लोग करते हैं पतंगबाजी

उत्तर प्रदेश में खिचड़ी, पंजाब में माघी, असम में माघ बिहू, तमिलनाडू में पोंगल, गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण, और पूरे भारत में अलग-अलग नामों से मशहूर मकर संक्रांति का त्यौहार पूरे भारत वर्ष में बड़ी घूमधाम से मनाया जाता है। साल का यह पहला पर्व जनवरी महीने की 14 तारिख को मनाया जाता है।

मान्यता है कि इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है, और इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। खिचड़ी के इस त्यौहार में कहीं आसमान पतंगों से घिरा होता है, तो कहीं तिल की मिठाईयों से मुँह मीठा हो जाता है।

इस दिन जप, तप, दान, गंगा स्नान, तर्पण आदि धार्मिक कार्यों करने का खास महत्व होता है, और माना जाता है कि इस दिन किया गया दान आगे कई गुणा बढ़कर मिलता है, इन दिनों में उत्तरायण को देवताओं का दिन यानी एक सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।

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मकर संक्रांति के बाद से गर्मियों का मौसम शुरु हो जाता है, और सूर्य के उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आने से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि परिवर्तन से दिन में रोशनी ज्यादा होने लगती है और रात में अंधेरा कम होने लगता है। अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर इस त्यौहार पर एक सकारत्मक शुरुआत होती है।

खिचड़ी का नाम सुनकर यदि आपके मुँह में पानी आ जाए ये लाज़मी है और सालभर आपने कितनी भी खिचड़ी खाई हो लेकिन मकर संक्रांति की खिचड़ी का स्वाद आपको केवल मकर संक्रांति के दिन बनी खिचड़ी में ही आएगा। मकर संक्रांति के दिन भक्त सूर्य देव को खिचड़ी प्रसाद स्वरुप अर्पित करते हैं, और इसे प्रसाद स्वरुप देवताओं को अर्पित करने की परंपरा को शुरु करने वाले भगवान शिव ही मानें जाते हैं। गौरखपुर में तो गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति के दिन से खिचड़ी मेला आरंभ होता है और कई दिन तक चलने वाले इस मेले में खिचड़ी को प्रसाद के रुप में वितरित किया जाता है।

वसंत ऋतु के आगमन की खुशी में इस पर्व को खेती के किसानों द्वारा भी काफी हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति के त्यौहार को लोहड़ी के त्योहार के एक दिन बाद मनाया जाता है

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