कौन था पुष्पेंद्र यादव? जिसके 'एनकाउंटर' के बाद अखिलेश ने योगी के खिलाफ खोला मोर्चा

संक्षेप:

  • अखिलेश ने योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला.
  • मायावती ने भी योगी राज को जंगलराज करार दिया.
  • पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर से उत्तर प्रदेश की सियासत में उबाल आ गया है.

झांसी: पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर से उत्तर प्रदेश की सियासत में उबाल आ गया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जहां झांसी पहुंचकर योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वहीं पुष्पेंद्र के परिजनों ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाते हुए कहा कि पुष्पेंद्र के पास घूसकांड का वीडियो सबूत था. इसी वजह से दारोगा ने उसे मार डाला. उधर, इस मामले में अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी योगी राज को जंगलराज करार दिया.

कौन था पुष्पेंद्र यादव?

झांसी पुलिस के हाथों मारा गया पुष्पेंद्र यादव झांसी के करगुआं गांव का रहने वाला था. उसके पिता सीआईएसएफ में थे. पिता की मौत के बाद पुष्पेंद्र के बड़े भाई रवींद्र को उनकी जगह नौकरी मिल गई थी, जबकि पुष्पेंद्र का एक और भाई दिल्ली मेट्रो में नौकरी करता है. घरवालों के मुताबिक पुष्पेंद्र के पास दो ट्रक थे, जिनसे वो बालू और गिट्टी की ढुलाई करता था.

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पुलिस पर संगीन आरोप

परिवार वालों की मानें तो झांसी पुलिस ने पहले तो पुष्पेंद्र के खिलाफ फर्जी केस दर्ज किया और फिर उसे फेक एनकाउंटर में मार दिया. परिजनों के मुताबिक पुष्पेंद्र का जो भाई दिल्ली मेट्रो में नौकरी करता है, पुलिस ने उसके खिलाफ भी हत्या की कोशिश का फर्जी मामला दर्ज किया है. उसे इस बात का पता तब चला, जब वो अपने भाई पुष्पेंद्र की मौत की ख़बर सुनकर झांसी आया था.

पुष्पेंद्र के समर्थन में आए गांववाले

करगुआं गांव तमाम लोग अब पुष्पेंद्र यादव के समर्थन में खड़े हो गए हैं. ग्रामीणों का संगीन इल्जाम है कि झांसी के एसएसपी और आरोपी मोठ कोतवाल आपस में रिश्तेदार हैं. इन दोनों ने मिलकर पुष्पेंद्र यादव की हत्या की है. अब गांववालों का साफ कहना था कि जब तक झांसी के एसएसपी ओपी सिंह और इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह चौहान को गिरफ्तार कर जेल नहीं भेजा जाएगा, तब तक वे पुष्पेंद्र का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे.

बामुश्किल हुआ अंतिम संस्कार

इस सूचना के बाद 7 अक्टूबर की शाम को झांसी के डीएम शिवसहाय अवस्थी, एसएसपी ओपी सिंह और एडीजी प्रेम प्रकाश गांव में पहुंचे और घरवालों को पुलिसवालों के खिलाफ केस दर्ज कराने का आश्वासन दिया, तब जाकर परिवार वालों ने पुष्पेंद्र यादव का अंतिम संस्कार किया.

अखिलेश यादव ने योगी सरकार को घेरा

उधर, सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी इस मामले में कूद पड़े. उन्होंने योगी सरकार और पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बुधवार को अपने समर्थकों की भारी भीड़ के साथ अखिलेश करगुआ गांव पहुंचे और पुष्पेंद्र यादव के परिजनों से मुलाकात की. अखिलेश ने पुष्पेंद्र के परिवार से वादा किया कि समाजवादी पार्टी उनके साथ खड़ी रहेगी.

पुलिस के खिलाफ लोगों में गुस्सा

इलाके के लोग पुष्पेंद्र की मौत से खासे नाराज हैं. इस मामले में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के परिजनों से मिलने पहुंचे तो लोगों ने पुलिस के खिलाफ खूब नारेबाजी की. पुष्पेंद्र के घर पर मौजूद गांव वालों ने भी पुलिस मुर्दाबाद के नारे लगाए और हत्यारों को फांसी की सजा देने की मांग की. मौके पर मौजूद लोग इतने उग्र हो गए कि वहां मौजूद पुलिस ने बड़ी मुश्किल से काबू किया.

क्या है पूरा मामला

दरअसल, पुष्पेंद्र पर पुलिस ने आरोप लगाया है कि बीते शनिवार की रात वह मोठ थाने के इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह चौहान पर हमला करने के बाद उनकी कार लूटकर भाग रहा था. जिसके चलते अगली सुबह पुलिस ने पुष्पेंद्र यादव को गुरसराय थाना क्षेत्र में एक मुठभेड़ में कथित तौर पर मार दिया था. पुलिस के मुताबिक उसके 2 साथी भाग निकले थे. पुलिस का ये भी आरोप है कि पुष्पेंद्र की कार से दो तमंचे कारतूस और मोबाइल भी बरामद किए गए हैं.

झांसी पुलिस की कहानी

पुलिस का आरोप है कि पुष्पेंद्र ने शनिवार की रात करीब 9 बजे मोठ थाना प्रभारी धर्मेंद्र सिंह चौहान पर बमरौली बायपास चौराहा के पास हमला किया था. प्रभारी निरीक्षक के आरोपों के मुताबिक हमलावरों ने गोली चलाकर उनकी कार लूटी और फरार हो गए. इसके बाद घायल इंस्पेक्टर को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. इसके बाद सर्च की गई तो पुष्पेंद्र का सामना पुलिस से हुआ और वह एनकाउंटर में मारा गया.

क्या कहते हैं मृतक पुष्पेंद्र के परिजन

परिजनों का आरोप है कि पुष्पेंद्र को जबरन पकड़कर मारा गया है. वे इस मामले में न्याय चाहते हैं. उनका आरोप है कि पुष्पेंद्र के खिलाफ कोई शिकायत नहीं थी. कभी किसी ने उसके बारे में कुछ नहीं कहा. लेकिन पुलिस ने उसे अपराधी बताकर मार डाला. उसके खिलाफ फर्जी केस दर्ज किए.

अखिलेश ने यूपी पुलिस पर उठाए सवाल

अखिलेश यादव ने फर्जी एनकाउंटर की जांच सिटिंग जज से कराए जाने की मांग उठाई. उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार पर भी करारा हमला बोला. अखिलेश ने कहा कि यूपी पुलिस हत्या का पर्याय बन गई है. उन्होंने हाल ही में एनकाउंटर किए गए कई मामलों पर उंगली उठाई. उन्होंने सहारनपुर और आजमगढ़ समेत कई जगह फर्जी मुठभेड़ किए जाने की बात कही.

क्या कह रही है यूपी पुलिस

पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर पर बवाल होने के बाद पुलिस भी सफाई दे रही है. उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ एंड आर्डर) पीवी रामशात्री ने बुधवार को ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार ही सारे कार्य किए गए. ह्यूमन राइट्स को ध्यान में रखते हुए कार्य किया गया है. इसकी जांच मजिस्ट्रेट लेवल पर एडीएम ईस्ट झांसी को दी गई है. वहां से बरामद किए गए हथियार को फॉरेंसिक लैब भेजा गया है.

पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन

हालांकि अंतिम संस्कार की बात पर पीवी रामशात्री ने कहा कि पहले घर वालों से बात की गई थी. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए दूर के स्थान पर अंतिम संस्कार किया गया. जिसमें गांव के ही लोग मौजूद थे. मृतक पुष्पेंद्र यादव पर लगभग तीन मुकदमें दर्ज थे. उसके माइनिंग एक्ट में दो चालान किए गए थे. अब एक जांच कमेटी बना दी गई है. जो पूरे मामले की जांच कर रही है.

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