UPPCL : रिकार्ड 30 प्रतिशत महंगी हो सकती है बिजली, बीते वर्ष किया गया था दरें न बढ़ाने संबंधी आदेश

गौरतलब है कि बिजली की मौजूदा दरें वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से लागू हैं।

लगभग छह वर्ष पहले बिजली की दरों में औसतन 11.69 प्रतिशत बढ़ोतरी की गई थी।

पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 के एआरआर में बिजली कंपनियों ने वर्तमान बिजली दरों से 11,203 करोड़ रुपये का राजस्व गैप दिखाया था लेकिन नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं का ही 1944.72 करोड़ रुपये सरप्लस निकालते हुए लगातार पांचवें वर्ष बिजली की दरें न बढ़ाने संबंधी आदेश पिछले वर्ष 10 अक्टूबर को किया था। हालांकि, बिजली कंपनियों के एआरआर पर सवाल उठाते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि इन कंपनियों को कानून का ज्ञान नहीं है।

कंपनियों के आंकड़ों को फर्जी बताते हुए वर्मा ने सोमवार को आयोग में लोक महत्व आपत्ति दाखिल कर कहा कि कलेक्शन एफिशिएंसी के आधार पर गैप का निर्धारण किया जाना पूरी तरह असंवैधानिक है और मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 के खिलाफ है। बिजली निजीकरण में विधिक आपत्तियों को सरकार को भेजे नियामक आयोगराज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सोमवार को विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार से मुलाकात कर लोक महत्व का प्रस्ताव सौंपा।

प्रस्ताव के माध्यम से मांग की है कि परिषद की तरफ से दाखिल सभी विधिक आपत्तियों को आयोग प्रदेश सरकार को भेजे।

ऐसा नहीं होने की स्थिति में सरकार द्वारा संदर्भित प्रकरण के साथ आपत्तियों को सम्मिलित करते हुए निर्णय लिया जाए।

प्रस्ताव के माध्यम से अवधेश वर्मा ने सवाल उठाया है कि एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में सलाहकार पावर कारपोरेशन के कई उच्चाधिकारी उपस्थित थे। इसके बाद भी किसी को यह नहीं पता था कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन अब अभिमत के लिए नियामक आयोग को प्रस्ताव नहीं भेज सकता है।

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