UPPCL: बत्ती गुल करने वाले बिजली कर्मचारी सीधे बर्खास्त होंगे, यूपी पावर कारपोरेशन ने बनाया विशेष नियम

दरअसल, प्रबंधन का मानना है कि समय-समय पर अपनी मांगों को मनवाने के लिए बिजली कार्मिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न संगठन कार्य बहिष्कार एवं हड़ताल का आह्वान कर बिजली आपूर्ति बाधित करने की धमकी देकर शासन व्यवस्था पर अनुचित दबाव डालने की कोशिश करते हैं।  बिजली कार्मिक संगठन बिजली आपूर्ति में बाधा को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं।

चूंकि बिजली आपूर्ति जीवन के संचालन के लिए नितांत आवश्यक है।

अस्पतालों, न्यायालयों से लेकर तमाम महत्वपूर्ण संस्थानों, सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों, सुरक्षा व्यवस्था व जलापूर्ति के लिए बिजली अपरिहार्य है। बिजली आपूर्ति ठप होने से लोक शांति भंग होने की भी प्रबल आशंका रहती है।

ऐसे में किसी भी समूह या व्यक्ति को समाज को इस तरह से अनुचित दबाव में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि बिजली आपूर्ति व्यवस्था अपंग हो जाए। गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिसंबर 2022 में कार्मिकों की हड़ताल से बिजली आपूर्ति प्रभावित होने पर गंभीर रुख दिखाते हुए कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए गए थे। ऐसे में पावर कारपोरेशन के निदेशक मंडल द्वारा गुरुवार को बाई सर्कुलेशन पारित निर्णय के तरह 28 अक्टूबर 2020 की संबंधित विनियमावली को संशोधित कर विनियमावली-2025 के तहत विशेष नियम 7क जोड़ा गया है। तत्काल प्रभाव से लागू संशोधित विनियमावाली के तहत कार्य बहिष्कार व हड़ताल में शामिल किसी भी कार्मिक को बिना विभागीय जांच के तत्काल बर्खास्त किया जा सकेगा।

प्रबंधन का मानना है कि अब तक ऐसी व्यवस्था न होने से बिजली आपूर्ति में बाधा डालने वाले कार्मिक के विरुद्ध विभागीय जांच ही की जाती रही है।  ऐसे में जांच करने वाले अधिकारी के परोक्ष रूप से आंदोलन का समर्थन करने या फिर आंदोलितकर्मियों की मांगों के प्रति सहानुभूति रखने से या तो जांच संभव नहीं होती थी या फिर लटकाए रखी जाती थी।

इससे अनुशासनात्मक कार्यवाही का कोई महत्व ही नहीं रह जाता।निदेशक मंडल ने विशेष नियम का किसी भी तरह से दुरुपयोग रोकने के लिए यह भी निर्णय किया है कि मुख्य अभियंता के स्तर से बर्खास्त किए जाने वाले अवर अभिंयता तक कार्मिकों के मामले में प्रबंध निदेशक का अनुमोदन अनिवार्य होगा।  मुख्य अभियंताओं के मामले में बर्खास्तगी पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष करेंगे जबकि अन्य मामले में प्रबंध निदेशक को अधिकार होगा। ।

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