राजेश साहनी की संदिग्ध मौत पर वरिष्ठ पत्रकार ने उठाए 10 सवाल

संक्षेप:

  • ATS के जांबाज ऑफिसर थे राजेश साहनी
  • दंगा भड़का तो अहम भूमिका निभाई
  • अधिकतर ऑपरेशन खुद किए लीड  

लखनऊः यूपी एटीएस के अधिकारी राजेश साहनी की मौत के चौबीस घंटे के भीतर ही मौत पर गंभीर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। लोगों के मन मे उठ रहे सवालों की झलक साहनी के अंतिम संस्कार में आए लोगों के चेहरे पर साफ नजर आया। सबके जहन मे एक ही सवाल कि बेहद शांत और सुलझे दिल वाले राजेश साहनी आखिर आत्महत्या क्यों की? आखिर ऐसा क्या हुआ की राजेश साहनी ने एकाएक अपनी सर्विस रिवॉल्वर मंगा कर खुद को अपने दफ्तर के भीतर ही गोली मार ली। साहनी के बेहद करीबी दोस्त विनोद कापरी ने सवाल उठाया कि एक जिंदादिल खुशमिजाज इंसान अखिर कैसे आत्महत्या कर सकता है? साथ ही उन्होंने 10 सवाल भी उठाए हैं।

पहला सवालः राजेश साहनी की मौत के बाद एक ही सवाल सबकी जुबां पर था कि आखिर छुट्टी पर होने के बाद भी वह ऑफिस क्यों आए। दरअसल, राजेश साहनी 28 मई से 12 दिन की छुट्टी पर थे। उन्हें बेटी सौम्या का मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में एडमिशन करवाने जाना था। इसके बावजूद वह सोमवार को भी दफ्तर आए थे और मंगलवार को भी।

दूसरा सवाल: किसके कहने पर राजेश ऑफ़िस आए थे? अनौपचारिक तौर पर कई लोगों ने बताया कि IG असीम अरूण ने उन्हें बुलाया था और राजेश IG से मिले भी। क्या असीम अरूण बताएंगे कि क्या बात हुई थी? क्यों नहीं CDR निकाल कर देखा जाए?

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तीसरा सवाल: राजेश जब ऑफ़िस पहुंचे थे तो उनके पास रिवॉलवर नहीं थी। पुलिस मैन्युल के मुताबिक़ छुट्टी के दौरान हथियार इश्यू भी नहीं होता, तो फिर राजेश को रिवॉलवर क्यों और किसके कहने पर दी गई?

चौथा सवाल: सोचने वाली बात है कि जो इंसान आत्महत्या के इरादे से निकला हो, वो रिवॉलवर लाना ही भूल जाए और बाद में अपने गनर मनोज से रिवॉलवर मंगवाए? ये कैसे संभव है?

पांचवा सवाल: गनर मनोज का बयान है कि राजेश ने मनोज से कहा था कि उन्हें एक ऑपरेशन पर जाना है। क्या IG असीम अरुण बताएंगे कि राजेश को किस ऑपरेशन पर जाना था?

छठा सवाल: ये कहा जा रहा है कि राजेश ने दफ़्तर के अंदर ही ख़ुद को गोली मारी। सवाल ये उठता है कि जब गोली चली तो गोली चलने की आवाज़ दफ़्तर के अंदर किसी ने क्यों नहीं सुनी?

सातवां सवाल: पुलिस के बयान के मुताबिक़ राजेश ने 12:40 पर ख़ुद को गोली मारी लेकिन हैरानी की बात ये है कि अगले चार घंटे तक राजेश का लहूलुहान शव ATS के दफ़्तर पर ही पड़ा रहा। सवाल यह उठता है कि घायल या लहुलूहान या मृत राजेश को अस्पताल क्यों ले जाया गया?

आठवां सवाल: कभी भी कोई गंभीर रूप से घायल हो या बीमार हो, ये इंसान का एक स्वाभाविक स्वभाव है कि वो उसे तुरंत अस्पताल ले जाता है। राजेश के मामले में पुलिस ने ऐसा क्यों नहीं किया?

नौवां सवाल: क्यों SI स्तर के अधिकारी से राजेश की मृत्यु की जांच कराई जा रही है? क्यों नहीं राजेश की मृत्यु की न्यायिक जांच या CBI जांच हो रही है?

दसवां सवाल: UP पुलिस बताएं कि 29 मई को दोपहर 12 बजे से लेकर किए 12:50 तक ATS दफ़्तर में क्या क्या हुआ? क्या पुलिस कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है? देश को जवाब चाहिए।

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