Akshaya Tritiya: साल में सिर्फ एक बार ही चरण दर्शन देते हैं ठाकुरजी, इस बार बेशकीमती पोशाक धारण करेंगे बांकेबिहारी

संवाद सहयोगी, वृंदावन। भगवान श्रीराधा-कृष्ण के चरणों की पवित्र रज में साधनारत संतों को बद्रीनाथ दर्शन का पुण्य न मिले, ये संभव नहीं है।

इसी रज में साधना करते संतों को बद्रीनाथ दर्शन का पुण्य दिलाने के लिए ठा. बांकेबिहारी के प्राकट्यकर्ता स्वामी हरिदास ने करीब 500 साल पहले खास परंपरा की शुरुआत की।

स्वामी हरिदास द्वारा स्थापित इस परंपरा का निर्वहन आज भी मंदिर के सेवायतों द्वारा श्रद्धाभाव के साथ हर साल किया जा रहा है।

अक्षय तृतीया के दिन प्राचीन परंपरा के अनुसार उन्हें चंदन की प्रसादी समर्पित की जाती हैं।

मंदिर सेवायत श्रीनाथ गोस्वामी ने बताया, पर्व से 10 दिन पहले से ही चंदन की घिसाई शुरू हो जाती है।

चंदन घिसकर सुखाया जा रहा है, फिर इसका गोला बनाकर ठाकुरजी के चरणों में अर्पित किया जाएगा।

अक्षय तृतीया पर चरणों में अर्पित चंदन गोला का प्रसाद भक्तों में बांटा जाएगा।

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