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आपातकाल के 49 साल: JP की पर्ची पर बनती थी आंदोलन की रणनीति, शहर से गांव तक बांटे जाते पोस्टर
- न्यूज़
- Tuesday | 25th June, 2024
कहते हैं कि अपने देश में ही शासन-प्रशासन के लोग दुश्मन की तरह देखते थे।
दो बार गिरफ्तार हुए।
लंबे समय जेल में रहे।
उस समय मोबाइल का युग नहीं था।
धर्मशाला चौक पर भोला चौधरी की चाय की दुकान पर पर्ची आती और उसके आधार पर आंदोलन की रणनीति बनती थी। मीसा में उनके साथ पूर्व विधायक साधुशरण शाही, मुशहरी के रामशृंगार सिंह व समाजवादी लक्षणदेव प्रसाद भी अंदर रहे।
डीआइआर के तहत गिरफ्तार व भूमिगत अब भी अलग-अलग जगह पर सामाजिक व राजनीतिक काम में लगे हैं।
अभी करीब 100 जेपी सेनानी पेंशन लेने वाले और पचास भूमिगत आंदोलन वाले हैं।
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