उत्तराखंड के ये 29 महाविद्यालय चल रहें बिना प्रिंसिपल के

- 29 महाविद्यालय प्रिंसिपल विहीन
- मनान के बाद शासन ने आयोग से प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए मांगी अनुमति
- 20 राजकीय स्नातक महाविद्यालय और 9 राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में प्राचार्यों के पद हैं खाली
हल्द्वानी। प्रदेश के महाविद्यालय प्राचार्य विहीन हैं। इन महाविद्यालयों में लंबे समय से प्रभारी प्राचार्यों से काम लिया जा रहा है। इस बीच, सात राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालयों के प्राचार्यों के सेवानिवृत्त होने से ये महाविद्यालय भी प्राचार्य विहीन हो गए हैं। मतदान समाप्त होने के बाद अब शासन ने आयोग से इन महाविद्यालयों में प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए अनुमति मांगी है।
प्रदेश के 20 राजकीय स्नातक महाविद्यालय और 9 राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में प्राचार्यों के पद रिक्त हैं। इनमें प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए चुनाव आचार संहिता लगने से पूर्व शासन में डीपीसी हुई थी लेकिन तत्काल बाद चुनाव आचार संहिता लगने से प्राचार्यों की तैनाती लटक गई। अब मतदान समाप्त होने के बाद इनमें जल्द प्राचार्यों की नियुक्ति होने के कयास लगाए जा रहे हैं।
वर्तमान में सात महाविद्यालय जयहरीखाल, चंपावत, कपकोट, पुरोला, एमबीपीजी कॉलेज, हल्दूचौड़, थलीसैंण राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में भी प्राचार्य नहीं हैं। हालांकि इनमें प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए पूर्व में ही डीपीसी हो चुकी है। यह डीपीसी जून 2022 तक प्राचार्यों के रिक्त होने वाले सभी 29 प्राचार्यों के लिए की गई है। 28 फरवरी को निदेशक उच्चशिक्षा भी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस पद पर भी नियुक्ति की जानी है। निदेशक पद भी प्राचार्यों के लिए की गई डीपीसी में शामिल है।
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उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. पीके पाठक का कहना है कि शासन ने प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए आयोग से अनुमति मांगी है। उम्मीद है कि आयोग से अनुमति मिल जाएगी। अगर शासन से अनुमति मिलती है तो जल्द महाविद्यालयों में प्राचार्यों की नियुक्ति कर दी जाएगी। प्राचार्यों के पदों के लिए पूर्व में डीपीसी हो चुकी है।

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