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Uttarakhand में बारिश की बेरुखी से गिरा झीलों का जलस्तर, लेकिन सुधर रही पारिस्थितिकी पढ़ें, खास रिपोर्ट
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- Thursday | 23rd May, 2024
बेहद गिर गई थी नैनी झील की जलीय गुणवत्ता करीब दो दशक पूर्व नैनी झील की जलीय गुणवत्ता बेहद गिर गई थी।
झील में आक्सीजन की मात्रा गिरने के कारण मछलियां भी मरने लगी थीं।
एरिएशन से किसी तरह स्थिति को नियंत्रण में लाया गया।
जिससे झील की सतही स्थिति में तो सुधार आया, मगर गहराई में प्रदूषण कम नहीं हो पाया। पंतनगर विश्व विद्यालय मत्स्य विभाग के डॉ आशुतोष मिश्रा ने बताया कि 2006 से उनका संस्थान नैनीझील और भीमताल, सातताल, नकुचियाताल की जलीय गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए कार्य कर रहा है।
बताया कि एरिएशन और झील में मछलियों की प्रजातियों में संतुलन स्थापित कर पादप प्लवक और जंतु प्लवक की मात्रा नियंत्रित की जा रही है।
जिससे नैनी झील समेत अन्य झीलों की गुणवत्ता में भी सुधार आ रहा है। पूर्व में नैनीताल और नकुचियाताल झील यूट्रोफिक श्रेणी में दर्ज थी।
साथ ही सातताल झील ओलिगोट्राफिक थी।
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