आखिर क्‍या है शीतलाखेल मॉडल? नैनीताल हाई कोर्ट ने पूरे उत्‍तराखंड में लागू करने के दिए निर्देश

इस दौरान कोर्ट के साथ ही न्यायमित्र दुष्यंत मैनाली ने जंगलों की आग से नियंत्रण के लिए सुझाव दिए, कोर्ट ने सुझाव में कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में चाल खाल बनाए जाएं, जो जल स्रोत है, उनका पानी खालों में जमा किया जाय, जहां पानी नहीं है,, वहां भी खाल बनाई जाय, सभी खालों को एक दूसरे से जोड़ा जाय।

जिससे फायर सीजन में उनका उपयोग फायर लाइन की तरह किया जा सके।पीसीसीएफ की ओर से कहा गया कि कोर्ट के आदेशों के क्रम में राज्य सरकार काम कर रही है जबकि न्यायमित्र की तरफ से कहा गया कि 2021 से राज्य सरकार कोर्ट में आश्वासन देने के अलावा कुछ नहीं कर रही है।

जंगलों की आग पर काबू करने के लिए हाई कोर्ट ने 2017 में विस्तृत गाइड लाइन जारी की थी। न्यायमित्र ने चालखाल बनाने के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहन देने का भी सुझाव दिया, उन्होंने यह भी बताया कि वन विभाग में फारेस्ट गार्ड की कमी दूर करने को या तो भर्ती की जाए, अथवा सीजन कर्मी नियुक्ति हों। 2021 में भी लिया था स्वत: संज्ञानकोर्ट ने 2021 में मुख्य समाचार पत्रों में प्रकाशित आग की खबरों पर स्वतः संज्ञान लिया था।

यही नहीं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने भी जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए चीफ जस्टिस को पत्र भेजा था।

जिसमें कहा था कि वन , वन्यजीव व पर्यावरण को बचाने के लिए राज्य को दिशा निर्देश जारी किए जाएं। यह भी पढ़ें - हरिद्वार में खौफनाक कांड, विधवा से दुष्कर्म; आंखों में डाली मिर्ची और रॉड से किए ताबड़तोड़ वारकोर्ट ने इनका संज्ञान लेकर कई दिशा निर्देश राज्य सरकार को जारी किए थे, कोर्ट की ओर से 2016 में भी जंगलों को आग से बचाने के लिए गाइड लाइन जारी की थी।

कोर्ट अपने दिशा निर्देशों में कहा था कि गांव स्तर से ही आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित करने, जंगल की आग के दुष्परिणामों को लेकर जागरूकता अभियान चलाने को कहा था। यह है शीतलाखेत मॉडलअल्मोड़ा जिले के शीतलाखेत में ग्रामीणों ने जंगलों की आग पर नियंत्रण को समूह बनाए हैं, ग्रामीण दिसंबर से मार्च तक सप्ताह या माह में ओंड़ या सूखी झाड़ी दिवस मनाते हैं, झाड़ियों को जलाते हैं, जंगलों की आग की सूचना मिलते ही ग्रामीण सक्रिय हो जाते हैं, व्हाट्सएप ग्रुप में जानकारी शेयर की जाती है। ।

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