लिफ्ट के मेंटेनेंस के चलते 45 मिनट तक फंसा रहा 11 साल का बच्चा, मेंटेनेंस टीम पर अभिभावकों का फूंटा गुस्सा

संक्षेप:

  • लिफ्ट के मेंटेनेंस के चलते 45 मिनट तक फंसा रहा 11 साल का बच्चा।
  • मेंटेनेंस टीम पर अभिभावकों का फूंटा गुस्सा।
  • 45 मिनट तक भटकते रहे मां-बाप।

नोएडा. ग्रेनो वेस्ट की पैरामाउंट इमोशंस सोसाइटी के टावर-एस की लिफ्ट में मंगलवार की रात 11 साल का एक बच्चा 45 मिनट तक फंसा रहा। बच्चा अपने दोस्त के फ्लैट से नीचे जा रहा था। तभी अचानक लिफ्ट बंद हो गई। काफी देर इधर-उधर तलाश करने के बाद परिजनों का ध्यान लिफ्ट पर गया तो बच्चा अंदर मिला। तब उसे बाहर निकाला गया। देर रात सोसाइटी में काफी हंगामा हुआ। मौके पर पहुंची पुलिस ने लोगों को शांत कराया।

मेंटेनेंस टीम पर फूटा अभिभावकों का गुस्सा

बच्चा मिलने के बाद अभिभावक अन्य निवासियों के साथ मुख्य गेट पर सुरक्षाकर्मियों के पास पहुंचे। आरोप है कि लिफ्ट में कैमरा लगा है। उसकी फुटेज गार्ड रूम में चलती रहती है। साथ ही अलार्म भी बजाया गया था, लेकिन गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी कानों में ईयर फोन लगाकर बैठा हुआ था। इस कारण उसने अलार्म की आवाज नहीं सुनी और ना ही सीसीटीवी फुटेज देखी। इस बात को लेकर सुरक्षाकर्मियों के साथ काफी कहासुनी भी हुई। उसके बाद पुलिस को बुलाया गया। पुलिस ने निवासियों को शांत कराया और सुरक्षाकर्मियों को फटकार लगकर व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए।

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45 मिनट तक भटकते रहे मां-बाप

रात करीब 11 बजे बच्चा दोस्त के यहां से निकला था। तब से 11:45 बजे अजय अपने परिवार के साथ बेटे को तलाश कर रहे थे। कई टावर में जाकर लिफ्ट भी देखी, लेकिन कहीं पता नहीं लगा। मां पूरी तरह टूट चुकी थी। सोसाइटी में बच्चे का फोटो भी वायरल किया गया, लेकिन कहीं से मदद नहीं मिली। आखिर में पिता वापस बेटे के दोस्त के पास पहुंचा।

कम खर्च के लिए किया सुविधाओं से समझौता

ग्रेनो वेस्ट की ज्यादातर सोसाइटियों में निवासी मेंटेनेंस की खराब सुविधा से परेशान हैं। कहीं पर स्टॉफ की कमी तो कहीं पर बिल्डिंग संबंधी समस्याएं है। लिफ्ट का रखरखाव करने वाली एजेंसियों को रखने में भी लापरवाही बरती जाती है। मेंटेनेंस एजेंसी भी कम शुल्क पर रखी जाती है। लोगों का आरोप है कि बिल्डर खर्च बचाने के चक्कर में सुविधाओं से समझौता करते है।

मेंटेनेंस के लिए हर सोसाइटी में आते हैं करोड़ों रुपये

यूपी अपार्टमेंट एक्ट के तहत अगर किसी प्रोजेक्ट में 66 प्रतिशत खरीदारों को कब्जा मिल जाता है तो बिल्डर को वहां पर एओए का गठन करना होगा। गठन करने के तुरंत बाद एओए को रखरखाव की जिम्मेदारी देनी होगी, लेकिन अधिकतर बिल्डर ऐसा नहीं करते है। मेंटेनेंस शुल्क के नाम पर हर सोसाइटी में करोड़ों रुपये आता है। जबकि सोसाइटी के मेंटेनेंस पर उतना खर्च नहीं किया जाता है। इस लालच में बिल्डर एओए को जिम्मेदारी नहीं दे रहे हैं। कई सोसाइटियों में एओए रखरखाव की जिम्मेदारी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं काफी जगह बिल्डर अधूरी सुविधाओं के बीच जिम्मेदारी देना चाह रहे हैं, लेकिन निवासी ऐसा नहीं होने दे रहे हैं। 

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