राफेल पेपर लीक: रक्षा मंत्रालय ने SC से कहा- देश की सुरक्षा और संप्रभुता से समझौता

संक्षेप:

  • बहुचर्चित राफेल पेपर लीक को लेकर रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि देश की संप्रभुता के साथ समझौता हुआ है
  • सरकार की मर्जी के बगैर राफेल के संवेदनशील दस्तावेजों की फोटो कॉपी की गई
  • मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी गई है

नोएडा: बहुचर्चित राफेल पेपर लीक को लेकर रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि देश की संप्रभुता के साथ समझौता हुआ है. दरअसल, शीर्ष अदालत में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की इस टिप्पणी ने राजनीतिक भूचाल ला दिया था कि राफेल लड़ाकू विमान के सौदे के दस्तावेज चुरा लिए गए हैं. हालांकि बाद में अटॉर्नी जनरल ने दावा किया कि राफेल दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चुराए नहीं गए और सुप्रीम कोर्ट में उनकी बात का मतलब यह था कि याचिकाकर्ताओं ने आवेदन में उन मूल कागजात की फोटो कॉपी का इस्तेमाल किया, जो गोपनीय हैं. इसी मामले में रक्षा मंत्रालय ने अपना पक्ष रखा है.

राफेल पेपर लीक मामले में बुधवार को दाखिल हलफनामे में रक्षा मंत्रालय ने कहा कि देश की संप्रभुता के साथ समझौता हुआ है. सरकार की मर्जी के बगैर राफेल के संवेदनशील दस्तावेजों की फोटो कॉपी की गई, जिसे चोरी से ऑफिस से बाहर ले जाया गया. आगे कहा गया, `संप्रभुता और विदेशी संबंध पर विपरीत असर हुआ है. मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी गई है. हलफनामे में रक्षा मंत्रालय ने कहा कि राफेल समीक्षा केस में याचिकाकर्ताओं द्वारा सामने रखे गए दस्तावेज राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील हैं, जो लड़ाकू विमान की युद्धक क्षमता से संबंधित हैं. गौरतलब है कि राफेल के दस्तावेजों के लीक होने को लेकर विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हो गए थे. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संवेदनशील कागजात के चोरी होने पर सरकार पर निशाना साधते हुए जांच की मांग की थी. हालांकि वेणुगोपाल ने स्थिति को संभालने का प्रयास करते हुए कहा था, ‘मुझे बताया गया कि विपक्ष ने आरोप लगाया है कि (सुप्रीम कोर्ट में) दलील दी गई कि फाइलें रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गईं. यह पूरी तरह से गलत है.

वेणुगोपाल ने कहा था कि राफेल सौदे की जांच का अनुरोध ठुकराने के शीर्ष अदालत के आदेश पर पुनर्विचार की मांग वाली यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण की याचिका में ऐसे तीन दस्तावेजों को नत्थी किया गया है जो असली दस्तावेजों की फोटो कॉपी हैं. आधिकारिक सूत्रों ने कहा था कि अटॉर्नी जनरल द्वारा ‘चोरी’ शब्द का इस्तेमाल संभवत: ‘ज्यादा सख्त’ था और इससे बचा जा सकता था.

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