क्रिकेट पिच से लेकर DU Campus तक, देखिए अरुण जेटली की अनदेखी तस्वीरें

संक्षेप:

  • राजनीतिक जीवन में कुशल वक्ता से लेकर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी दांव पेंच तक पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली के जीवन के कई अनसुने किस्से हैं.
  • उनके बारे में कहा जाता था कि वह बीजेपी कार्यालय दो कोट टांगकर जाते थे- एक वकील का तो दूसरा प्रवक्ता का. 
  • वह अक्सर लोधी गार्डन में मॉर्निंग वॉक के लिए जाया करते थे और स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग रहते थे. 

नई दिल्ली: राजनीतिक जीवन में कुशल वक्ता से लेकर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी दांव पेंच तक पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली के जीवन के कई अनसुने किस्से हैं। उनके बारे में कहा जाता था कि वह बीजेपी कार्यालय दो कोट टांगकर जाते थे- एक वकील का तो दूसरा प्रवक्ता का। वह अक्सर लोधी गार्डन में मॉर्निंग वॉक के लिए जाया करते थे और स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग रहते थे। इस साल मोदी सरकार 2.0 के शपथग्रहण समारोह से एक दिन पहले अरुण जेटली ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर निवेदन किया कि वह पिछले 18 महीनों से गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहते हैं इसलिए उन्हें मंत्रालय में जगह न दें।

देखिए, अरुण जेटली की कुछ अनदेखी तस्वीरें

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दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ अध्यक्ष बने

अरुण जेटली के राजनीतिक जीवन की शुरुआत एबीवीपी से हुई और वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ अध्यक्ष भी चुने गए। 1977 में जेटली छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए और उसी साल उन्हें एबीवीपी का राष्ट्रीय सचिव भी बनाया गया।

आपातकाल के दौरान जेल भी गए जेटली

देश में जब आपातकाल लगाया गया तो जेटली भी जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल हो गए। युवा जेटली इस दौरान जेल भी गए और वहीं उनकी मुलाकात उस वक्त के वरिष्ठ नेताओं से हुई। जेल से बाहर आने के बाद वह जनता पार्टी में शामिल हो गए।

जेटली ने क्यों चुना था जनसंघ का रास्ता?

37 साल की उम्र में अरुण जेटली वीपी सिंह की सरकार में अडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाए गए थे। जनसंघ में शामिल होने के सवाल पर जेटली ने एक बार अंग्रेजी अखबार को बताया था कि जिन्होंने बंटवारे के दर्द को सहा था वह जनसंघ को समर्थन देता था।

सुप्रीम कोर्ट के प्रख्यात युवा वकील होने के साथ-साथ बीजेपी में भी उनका कद बढ़ता गया। जेटली के बारे में मशहूर है कि वह एक समय में दिल्ली के अशोक मार्ग स्थित बीजेपी दफ्तर में जो कोट लेकर जाया करते थे। एक प्रवक्ता का और एक वकील का।

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