छत्तीसगढ़ किसान सभा का एलान, 26 मार्च को भारत बंद 

संक्षेप:

  • किसान सभा ने सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई।
  • कृत्रिम संकट और महंगाई बढ़ने का भय।
  •  विरोध में 26 मार्च को भारत बंद

 

रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई है। जिसके चलते खाद्य, उपभोक्ता मामलों और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए गठित संसद की स्थायी समिति द्वारा आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून को क्रियान्वित किए जाने की सिफारिश का विरोध शुरू हो गया है। किसान सभा का कहना है कि केंद्र सरकार की किसान विरोधी और कारपोरेट परस्त नीतियों को मजबूत करने वाली इन सिफारिशों के खिलाफ आम जनता और किसानों में व्यापक अभियान चलाने का फैसला किया गया है। 26 मार्च को भारत बंद को सफल बनाया जाएगा। और तो और किसान सभा ने कहा है कि यह सिफारिश शब्दों और भावनाओं में पूरी तरह से देश की जनता के हितों के खिलाफ और देशव्यापी किसान आंदोलन में शहीद हुए 300 से ज्यादा किसानों का अपमान है।

कृत्रिम संकट और महंगाई बढ़ने का भय

छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा कि इस कानून से खाद्यान्न सहित रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की कारपोरेट सट्टेबाजी और कालाबाज़ारी को बढ़ावा मिलेगा, जिससे बाजार में कृत्रिम संकट पैदा होगा और महंगाई बढ़ेगी। इससे न आम जनता को फायदा है, न किसानों को। यह कानून सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी ध्वस्त करेगा। अतः इस कानून को क्रियान्वित करने की सिफारिशें अस्वीकार्य है। साथ ही उन्होंने कहा है कि किसान सभा ऐसी सभी पार्टियों को बेनकाब करेगी, जो आम जनता में तो इन तीनों किसान विरोधी कानूनों की खिलाफत का दावा करती है। लेकिन संसदीय समितियों के जरिये इन कानूनों के क्रियान्वयन की सिफारिश कर रही है।

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किसान सभा ने तृणमूल कांग्रेस और कॉन्ग्रेस से मांगा जवाब 
इस संसदीय समिति की अध्यक्षता तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में तीनों कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया है। इस समिति में कांग्रेस के सदस्य भी शामिल हैं। किसान सभा ने कहा है कि इन दोनों पार्टियों को जवाब देना होगा कि उनकी उपस्थिति में ऐसी जन विरोधी सिफारिशें कैसे की गई है?
 

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