Chhattisgarh Encounter: जान बचाने के लिए जंगल में भागते फिर रहे थे माओवादी, बिस्तर और कुर्सी से कैसे लगा बसव राजू का सुराग?

पत्र में माओवादियों ने कहा है कि डीआरजी के अभियान से एक दिन पहले माओवादी डेरे से भागे पति-पत्नी ने पुलिस तक सूचना पहुंचाई थी।

इसके अगले ही दिन 17 मई को नारायणपुर और कोंडागाव से डीआरजी ने अभियान शुरु हुआ।

18 मई को दंतेवाड़ा, बीजापुर के डीआरजी, बस्तर फाइटर्स के जवानों ने भी घेराबंदी शुरु की।

19 मई की सुबह वे माओवादी डेरे के पास पहुंच गये थे।इसके बाद डेरा छोड़कर भाग रहे माओवादियों की टीम के साथ सुबह दस बजे पहली मुठभेड़ हुई।

दिन भर पांच बार मुठभेड़ हुई, पर कोई नुकसान नहीं हुआ।

इसके बाद डीआरजी के घेराव क्षेत्र से बाहर निकलने के लिए 20 मई काे दिन भर प्रयास किए, पर सफलता नहीं मिल सकी।

लगभग 60 घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद 21 मई की सुबह आमने-सामने की भिडंत हुई, जिसमें सात माओवादी भागने में सफल रहे। यह भी पढ़ें: वीरप्पन से लेकर चलापति तक... अपराध की दुनिया पर करते थे राज, सिर पर था करोड़ों का इनाम; कैसे हुआ इन सभी का खात्मा? ।

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