माओवादियों के सामने अब दो ही रास्ते, `मौत या समर्पण`, सुरक्षाबलों के आक्रामक अभियान से हिल गया नक्सलियों का सिंहासन

वहीं, आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने से उन्हें वैचारिक संघर्ष का एक नया रास्ता मिल सकता है।

सुरक्षा बल के आक्रामक अभियान से माओवादी लगभग टूट गए हैं, लेकिन अब भी हथियार डालने की बात नहीं कर रहे। हालांकि पिछले डेढ़ वर्ष में छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के नेतृत्व में चल रहे अभियान से माओवादियों को यह समझ में आ गया है कि वे इस लड़ाई को कभी जीत नहीं सकते। 441 माओवादी मुठभेड़ में मारे गए इस अवधि में 441 माओवादी मुठभेड़ में मारे गए हैं, जबकि 1200 से अधिक आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौट चुके हैं।

इतनी ही संख्या में गिरफ्तार भी किए गए हैं।

बसव राजू की हत्या के बाद माओवाद के ताबूत में अंतिम कील ठोंकने की तैयारी की जा रही है। आगे आ सकती है दूसरी पीढ़ी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, माओवादी संगठन की कमान अब दूसरी पीढ़ी के नेताओं के हाथ में आ सकती है, क्योंकि पहली पीढ़ी के ज्यादातर लोग या तो मारे जा चुके हैं या अब नेतृत्व करने की स्थिति में नहीं हैं।हाल ही में बसव राजू जैसे बड़े माओवादी मुठभेड़ में मारे गए हैं, और गणपति जैसे पूर्व महासचिव स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ चुके हैं।

जानकारी के अनुसार, थिप्परी तिरुपति उर्फ देवूजी और मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू उर्फ भूपति का नाम सामने आ रहा है। अब इसके प्रमुख बनने की चर्चा तेलंगाना के जगतियाल के देवूजी (62) को माओवादी पार्टी की सशस्त्र शाखा केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) का प्रमुख बताया जा रहा है।

वहीं, तेलंगाना के पेड्डापल्ली के भूपति (70) को पार्टी का वैचारिक प्रमुख और सेंट्रल रीजनल ब्यूरो (सीआरबी) का प्रमुख माना जा रहा है।

यह परिवर्तन संगठन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। ।

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