सीएम साय ने बोधघाट परियोजना को लेकर प्रधानमंत्री से की चर्चा, छत्तीसगढ़ के लिए कई मायनों पर महत्वपूर्ण यह प्रोजेक्ट

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताया कि बोधघाट परियोजना से सात लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी, जिसमें दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जैसे बस्तर के जिले प्रमुख रूप से शामिल हैं।

इसके अलावा, परियोजना के तहत हाइड्रो पावर प्लांट से 125 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा, जो छत्तीसगढ़ की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सहायक होगा।

परियोजना को महानदी से जोड़ने की योजना है, जिससे राजनांदगांव, कवर्धा और मुंगेली जैसे मैदानी इलाकों में भी पानी पहुंचेगा। इसके अतिरिक्त, परियोजना से चार लाख टन मत्स्य उत्पादन की भी संभावना है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगा।परियोजना का प्रभाव* सिंचाई रकबा में वृद्धि: सर्वे के अनुसार, बोधघाट परियोजना से दंतेवाड़ा में 65.73%, सुकमा में 60.59% और बीजापुर में 68.72% सिंचाई रकबा बढ़ेगा।* प्रभावित गांव: परियोजना से दंतेवाड़ा के 151, सुकमा के 90 और बीजापुर के 218 गांवों सहित कुल 359 गांवों को सिंचाई सुविधा मिलेगी। * जमीन की आवश्यकता: परियोजना के लिए 13,783.147 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी, जिसमें 5,704.332 हेक्टेयर वन भूमि, 5,010.287 हेक्टेयर निजी भूमि और 3,068.528 हेक्टेयर सरकारी जमीन शामिल है।* विस्थापन: सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, करीब दो दर्जन गांव पूरी तरह और 14 गांव आंशिक रूप से डूब क्षेत्र में आएंगे।

इससे 2,000 से अधिक परिवार विस्थापित होंगे।छत्तीसगढ़ के लिए वरदानमुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि यह परियोजना बस्तर और आधे छत्तीसगढ़ के लिए लाइफलाइन साबित हो सकती है।

45 साल से अटकी यह परियोजना न केवल बस्तर के विकास को गति देगी, बल्कि छत्तीसगढ़ के अन्य हिस्सों में भी समृद्धि लाएगी।

महानदी से जोड़ने के कारण इसका पानी दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचेगा।

यह परियोजना आंध्रप्रदेश की पोलावरम परियोजना से भी बड़ी मानी जा रही है, जो शुरू होने के बाद पूरी हो चुकी है, जबकि बोधघाट अब तक रुकी हुई थी। मुख्यमंत्री की दिल्ली यात्रामुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताया कि उन्होंने दिल्ली में PM मोदी से बोधघाट परियोजना और रिवर लिंकिंग के बारे में चर्चा की।

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