राजनांदगांव: परमालकसा रेलवे स्टेशन में प्लेटफार्म निर्माण को लेकर बड़ी लापरवाही, हो सकता है हादसा

संक्षेप:

  • राजनांदगांव मेन स्टेशन से महज आठ किमी दूर स्थित परमालकसा रेलवे स्टेशन में प्लेटफार्म निर्माण को लेकर रेलवे की बड़ी लापरवाही दिखी.
  • मजदरों को अपनी जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ रहा है. 
  • दो फुट दूरी से निकलती है हाई-स्पीड ट्रेन. 

राजनांदगांव: हट जाओ... ट्रेन आ रही है। यही आवाज आती है जब परमालकसा स्टेशन में काम कर रहे मजदूरों को ट्रेन आने की सुगबुगाहट सुनाई देती है। रविवार को परमालकसा स्टेशन में चल रहे प्लेटफार्म निर्माण की पड़ताल की जहां यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रेलवे के सारे दावे फेल होते नजर आए। राजनांदगांव मेन स्टेशन से महज आठ किमी दूर स्थित परमालकसा रेलवे स्टेशन में प्लेटफार्म निर्माण को लेकर रेलवे की बड़ी लापरवाही दिखी। मजदरों को अपनी जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ रहा है। मजदूर बिना किसी सुरक्षा के रेल लाइन पार कर सीमेंट की बोरी ढो रहे हैं। तो कुछ तेज रफ्तार से गुजरती ट्रेन के ट्रैक से महज दो फुट दूर बने गढ्ढों में काम करते नजर आ रहे हैं। पड़ताल में यह भी नजर आया कि मजदूरों की सुरक्षा के लिए उपस्थित पीडब्ल्युआई के कर्मचारी की आंखें भी मजदूरों के जोखिम भरे कामों को नही देख पा रही है। दूसरी तरफ एफओबी निर्माण के लिए बनाए गए गढ्ढे को भी खुला छोड़ दिया गया है। परमालकसा के यात्रियों की मानें तो रात में उस इलाके में अंधेरा रहता है कॉसन रिबन नही लगाने से कोई भी यात्री गढ्ढे में गिर सकते हैं। स्टेशन में चल रहे इन सभी कामों की स्टेशन के जिम्मेदार अधिकारियों को कोई खबर नही है। शायद वह भी किसी बड़ी दुर्घटना होने का इंतजार कर रहे हैं।

दो फुट दूरी से निकलती है हाई-स्पीड ट्रेन

प्लेटफार्म बनाने के लिए गढ्ढे रेलवे लाइन से महज दो फुट की दूरी में बनाए गए हैं। इन्ही में घुसकर मजदूर मिट्टी निकालने का काम कर रहे हैं। लाइन में तेज रफ्तार से अचानक सुपरफास्ट गाड़ियां गुजरने लगती है मजदूरों के पास इतना समय भी नही होता की वे गढ्ढे से बाहर आ सकें यह ही नही तेज रफ्तार से गुजरती गाड़ी से कचरा के साथ मल-मुत्र भी उड़कर मजदूरों के ऊपर आता है। पटरी के ठीक बगल में गढ्ढा होने के कारण रेलवे दुर्घटना की भी आशंका जताई जा रही है।

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दिसंबर तक चलेगा काम

राजनांदगांव, दुर्ग के बीच आने वाले तीनों स्टेशनों में एक करोड़ की लगात से प्लेटफार्म का निर्माण किया जा रहा है। 15 दिसंबर से पहले काम पूरा करना है । जिसके कारण ठेका कंपनी बिना किसी सुरक्षा के ही तेजी में काम करने में लगी हुई है। परमालकसा के प्लेटफार्म नंबर तीन कर निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। नियमों को ताक में रखकर रेलवे कर्मचारी काम को अंजाम दे रहे हैं। दरअसल पहले प्लेटफार्म नंबर तीन रेल लेवल पर था लेकिन यात्रियों को सुविधा देने इसे अब प्लेटफार्म लेवल 8.40 किया जा रहा है। लेकिन रेलवे नियमों व सुरक्षा को ताक में रखकर काम जल्दी करने में लगी हुई है।

छह फुट गढ्ढे में सुरक्षा घेरा नही

एफओबी निर्माण के लिए परमालकसा के प्लेटफार्म नंबर एक में एफओबी निर्माण काम शुरू किया गया है। एफओबी का बेस बनाने लगभग छह फिट का गढ्ढा खोदा जा चुका है लेकिन गढ्ढे को ऐसे ही खुला छोड़ दिया गया है। दिन में मजदूर होने की वजह से भले ही यात्री उस ओर नही जाएं लेकिन रात में खुले गढ्ढे में यात्रियों के गिरने की संभावना बढ जाती है। परमालकसा के यात्रियों ने बताया कि रात में गढ्ढे वाली जगह में अंधेरा रहता है जिससे दुर्घटना होने की संभावना बढ जाती है।

रेलवे निर्माण कार्य के यह हैं नियम

रेलवे निर्माण काम शुरु होने से पहले ही ट्रेक के दोनो ओर गति नियंत्रण के बोर्ड लगाए जाते हैं जिससे लोको पायलट समझ जाता है कि आगे कार्य प्रगति पर है। निर्माण स्थल पर पीडब्ल्युआई याने पर्मानेंट वे इंस्पेक्टर मौजूद होता है जो स्टेशन मास्टर से लगातार संपर्क में रहता है। ट्रेन आने की सूचना मिलने के बाद यह बिसिल बजाकर मजदूरों को आगाह करता है साथ ही पटरी के आस-पास काम कर रहे मजदूरों को पटरी से दूर हटाता है। मौके पर गैंगमैन भी रहते हैं जो लाल-हरी झंडी दिखाकर लोको पायलट को सुरक्षा संबंधी जानकारी देता है।

इन नियमों को किया जा रहा उल्लंघन

परमालकसा में चल रहे निर्माण कार्य में पीडब्ल्युआई का कर्मचारी तो मौजूद है लेकिन ट्रेन आने से पहले वह बिसिल बजाकर मजदूरों को ट्रैक से हटाना जरूरी नही समझता है। स्टेशन से तेज रफ्तार से जाती ट्रेन भी दोनो ओर नियंत्रण बोर्ड के नही होने का इशारा करती हैं। लोको पायलट को इंडिकेट करने रेलवे का कोई कर्मचारी मौके पर मौजूद नही है।

मामले में अफसर अंजान

पूरे मामले में परमालकसा के स्टेशन मास्टर से लेकर राजनांदगांव स्टेशन मास्टर व रेलवे के ईई से बात करने पर सब के सब अंजान नजर आए। स्टेशन मास्टर को तो प्रोजेक्ट के विषय में कोई जानकारी ही नही है। मौके पर मौजुद ठेका कंपनी का सुपरवाईजर अपने अनुसार ही मजदूरों से काम करवाता नजर आ रहा है।

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