सरना कोड पर सियासत के बीच कुड़मी को एसटी दर्जा देने का भी बढ़ेगा दबाव, JMM ने दिया अल्टीमेटम

कुड़मी समाज ने बोकारो एयरपोर्ट का नामकरण झारखंड आंदोलनकारी बिनोद बिहारी महतो के नाम पर करने की मांग भी उठाई है।

इसके समर्थन में बलियापुर से एक पदयात्रा निकाली जाएगी, जो समाज के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करेगी। बिनोद बिहारी महतो को कुड़मी समाज अपना प्रेरणास्रोत मानता है और उनकी विरासत को सम्मान देने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।

कुड़मी समाज ने जनगणना में अपनी पहचान को स्पष्ट करने के लिए भाषा के कालम में कुरमाली दर्ज करने का निर्णय लिया है। कुड़मी समाज का ऐतिहासिक दावा और विरोध का सामनाकुड़मी समाज का दावा है कि 1913 और 1931 के गजट में उन्हें आदिवासी के रूप में मान्यता दी गई थी, लेकिन आजादी के बाद उनकी पहचान को गैर आदिवासी के रूप में बदल दिया गया।

संगठन इसे एक ऐतिहासिक भूल मानता हैं और इसे सुधारने के लिए संघर्ष कर रहा है। हालांकि, इस मांग का आदिवासी संगठनों ने विरोध किया है, जिनका कहना है कि कुड़मी को एसटी दर्जा देने से मूल आदिवासियों के अधिकार, नौकरियां और सरकारी सुविधाएं प्रभावित होंगी।

आदिवासी संगठनों ने इस मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी दी है, जिससे सामाजिक तनाव की स्थिति बन सकती है। सरना कोड और कुड़मी आंदोलन का सियासी प्रभावसरना धर्म कोड की मांग को लेकर झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष के बीच सियासी जंग छिड़ी है।

कांग्रेस और झामुमो ने केंद्र सरकार पर आदिवासियों की धार्मिक पहचान को कमजोर करने का आरोप लगाया है।

दूसरी ओर, कुड़मी समाज का आंदोलन इस सियासी माहौल में नया दबाव बना रहा है।

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