रेलवे में नौकरी पाने के लिए व्यक्ति ने अपने अंगूठे की खाल दोस्त के अंगूठे पर लगाई, दोनों गिरफ्तार

वडोदरा , 25 अगस्त (भाषा) गुजरात के वडोदरा में रेलवे की नौकरी पाने के लिए एक अभ्यर्थी ने अपने अंगूठे की खाल को गर्म तवे पर रखकर हटाया और इसे (खाल को) अपने दोस्त के अगूंठे पर चिपका दिया ताकि वह बायोमेट्रिक सत्यापन की प्रक्रिया से गुजर जाए और उसकी जगह भर्ती परीक्षा में बैठ पाने में सफल हो सके।

एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि इस फर्जी अभ्यर्थी के अंगूठे पर चिपकाई गई खाल तब निकल गई जब 22 अगस्त को गुजरात के वडोदरा में आयोजित रेलवे भर्ती परीक्षा से पहले बायोमेट्रिक सत्यापन के दौरान परीक्षा पर्यवेक्षक ने उसके हाथ पर सैनेटाइज़र छिड़का।

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त एस. एम. वरोतारिया ने बताया कि वडोदरा पुलिस ने असल अभ्यर्थी मनीष कुमार और छद्म अभ्यर्थी राज्यगुरु गुप्ता को धोखाधड़ी और जालसाज़ी के आरोप में बुधवार को गिरफ्तार कर लिया।

दोनों बिहार के मुंगेर जिले के रहने वाले हैं।

एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि यदि त्वचा चिपक भी जाती, तो भी वे जालसाजी नहीं कर पाते।

उन्होंने बताया कि दोनों की उम्र 25 वर्ष के आसपास है और उन्होंने पहले 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की थी।

वडोदरा के लक्ष्मीपुरा थाने में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, रेलवे ने ‘डी’ समूह की रिक्तियों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित कराने के वास्ते एक निजी कंपनी को जिम्मेदारी दी थी और यह परीक्षा लक्ष्मीपुरा इलाके की एक इमारत में 22 अगस्त को आयोजित हुई थी जिसमें 600 अभ्यर्थी शामिल हुए थे।

वतोरिया ने बताया कि नकल को रोकने के लिए सभी अभ्यर्थियों का बायोमेट्रिक सत्यापान किया गया था जिसके तहत एक उपकरण के जरिए उनके अंगूठे के निशान को आधार डेटा से मिलाया गया था।

उन्होंने बताया कि कुमार नाम के अभ्यर्थी का सत्यापन बार-बार की कोशिश के बाद भी नहीं हुआ तो पर्यवेक्षक को शक हुआ और उन्होंने उसके हाथ पर सैनेटाइज़र छिड़का जिससे अंगूठे पर लगाई गई खाल निकल गई।

अहमदाबाद सिविल अस्पताल में अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. रजनीश पटेल ने कहा कि त्वचा को इस तरह चिपकाकर गड़बड़ नहीं की जा सकती।

उन्होंने कहा, ""त्वचा पर फिंगरप्रिंट और लकीरें प्रोटीन से बनी होती हैं।

जब अत्यधिक जलन के कारण छाला बन जाता है, तो ये लकीरें खराब हो जाती हैं।

इसलिए अगर कोई त्वचा के टुकड़े को दूसरे व्यक्ति के अंगूठे पर चिपकाने की कोशिश करता है, तो बायोमेट्रिक मशीन इसे पहचान नहीं पातीं क्योंकि त्वचा अपनी मूल संरचना खो चुकी होती है।

भाषा

जोहेब माधव

माधव

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