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समझें कैसे चुनावी प्रस्तावकों के बहाने जातीय समीकरण साध गए PM मोदी
- न्यूज़
- Wednesday | 15th May, 2024

, वाराणसी।
चुनावों में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है।
ये वह लोग होते हैं जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं।
अमूमन, नामांकन के लिए किसी राष्ट्रीय पार्टी के लिए दो और निर्दल के लिए 10 प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
2014 और 2019 की तरह इस लोकसभा चुनाव में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चार ही प्रस्तावक रहे।
लेकिन इस बार प्रधानमंत्री ने प्रस्तावकों के बहाने जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है।
प्रस्तावकों में एक ब्राह्मण, दो पिछड़ा वर्ग और एक अनुसूचित जाति वर्ग से हैं।

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