दिवाली के बाद यूपी के कई शहर बने गैस चेंबर, क्लाइमेट एजेंडा के अनुसार 6 गुणा ज्यादा प्रदूषित हुई है वाराणसी की हवा

संक्षेप:

  • दिवाली के बाद यूपी के कई शहर बने गैस चेंबर।
  • इंग्लिशिया लाइन, पांडेयपुर व आशापुर रहा सबसे प्रदूषित।
  • क्लाइमेट एजेंडा रिपोर्ट के अनुसार 6 गुणा ज्यादा प्रदूषित है काशी की हवा।

वाराणसी. क्लाइमेट एजेंडा की ओर से हर साल की तरह सातवीं बार इस साल भी दिवाली पर वाराणसी में वायु प्रदूषण की एक विस्तृत रिपोर्ट आज यानि 26 अक्तूबर 2022 को जारी की गई। इस रिपोर्ट के अनुसार, बनारस में ग्रीन पटाखे और जिला प्रशासन की ओर से हुई अपील इस बार पुनः बेअसर साबित हुई। कोविड 19 के साथ साथ अन्य सांस सम्बन्धी संक्रमण के खतरों के मद्देनजर, बनारस में वायु गुणवत्ता ठीक रखने के उद्देश्य से प्रत्येक साल के लिए जारी नेशनल ग्रीन ट्रिबुनल के दिशा निर्देशों की खुली अवहेलना हुई और जिला प्रशासन हर वर्ष की तरह इस बार भी मूकदर्शक बना रहा। रात दस बजे के बाद पूर्ण रूप से पटाखा प्रतिबन्ध के लिए जारी आदेश को ताक पर रखते हुए काशीवासियों ने जहां एक तरफ जम कर पटाखे बजाये, वहीं दूसरी ओर इन पटाखों से शहर में पीएम 2.5, पीएम 10 और वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), दोनों के ही मानकों की तुलना में काफी खराब हो गया।

शहर के 12 विभिन्न इलाकों से एकत्र किए गए आंकड़े

शहर के 12 विभिन्न इलाकों में वायु गुणवत्ता जांच की मशीनें लगा कर दिवाली की अगली सुबह तीन बजे से आठ बजे तक यह आंकड़े एकत्र किये गए। प्राप्त आंकड़ों के बारे में मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर ने बताया “शहर में पी एम 10 मुख्य प्रदूषक तत्व रहा. इंगलिशिया लाइन, पांडेयपुर और आशापुर सबसे अधिक प्रदूषित रहा जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक विश्व स्वास्थ्य संगठन की तुलना में 6 गुणा अधिक प्रदूषित रहा जबकि भारत सरकार द्वारा घोषित मानकों की तुलना में उपरोक्त तीनों स्थान तीन गुणा अधिक प्रदूषित पाए गए।

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भारत सरकार के मानकों द्वारा कई शहर है प्रदूषित

लहुराबीर, आशापुर और मैदागिन क्षेत्र भी कमोबेश एक जैसे ही पाए गये जहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक डब्लू एच ओ के मानकों की तुलना में लगभग 5 गुणा अधिक प्रदूषित रहा जबकि भारत सरकार के मानकों की तुलना में 2.5 गुणा अधिक प्रदूषित रहा। ज्ञात हो कि डब्ल्यू एच ओ के मानकों के अनुसार जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 45 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से ऊपर जाए तो हवा को प्रदूषित मानते हैं, जबकि भारत सरकार के द्वारा तय मानकों के अनुसार जब यह आंकड़ा 100 के पार पहुंचे तब शहर को प्रदूषित माना जाता है.

सिर्फ एक विभाग की जिम्मेदारी नहीं है प्रदूषण नियंत्रण

हालांकि, दिवाली के समय खराब हुई हवा के लिए पटाखों के साथ-साथ शहर की बेहद खराब कचरा प्रबंधन व्यवस्था भी जिम्मेदार है। शहर के विभिन्न इलाकों में दिवाली के समय हुई घरों की साफ़ सफाई के बाद कचरे का जलाया जाना भी वायु प्रदूषण को काफी हद तक बढाता है। क्लाइमेट एजेंडा ने हमेशा यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि प्रदूषण नियंत्रण किसी एक विभाग की जिम्मेदारी नहीं हो सकती, बल्कि नगर निगम, परिवहन, पीडब्ल्यूडी समेत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आम नागरिकों को अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने से ही प्रदूषण नियंत्रण संभव हो सकेगा।

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