वाराणसी कोर्ट ने बेनियाबाग कब्रिस्तान हत्याकांड मामले में दिया फैसला, तीन को मौत की सजा व एक को आजीवन कारावास

संक्षेप:

  • वाराणसी कोर्ट ने बेनियाबाग कब्रिस्तान हत्याकांड मामले में दिया फैसला।
  • तीन को सजा-ए-मौत व एक को आजीवन कारावास।
  • डंडे के हमले से दो लोगों की हुई थी मौत।

वाराणसी. एक दशक पूर्व बेनियाबाग कब्रिस्तान हत्याकांड में सत्र न्यायाधीश डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने महिला अभियुक्त समेत चार को दोषी करार दिया। 10 साल पहले हत्या मामले में फैसला सुनाया है। जिसमें तीन को सजा ए मौत और एक महिला शकीला को उम्रकैद और 75 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। वहीं, एक अन्य आरोपी इकबाल राइन पर आरोप सिद्ध न होने के कारण दोषमुक्त कर दिया गया है। वर्ष 2012 में चार लोगों की पीटकर हत्या कर दी गई थी। इसमें महिला अभियुक्त शकीला, अमजद, रमजान और अरशद को दोषी करार दिया गया। जबकि इकबाल राइन दोष मुक्त हुआ।

जून 2012 में दर्ज कराई थी प्राथमिकी

डीजीसी आलोक चंद्र शुक्ला व वादी के अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह के अनुसार सराय गोवर्धन, चेतगंज निवासी सईद उर्फ काजू ने 16 जून 2012 को चौक थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि वादी, उसके दो भाई मो. शफीक उर्फ राजू और मो. शकील उर्फ जाऊ, भतीजे चांद रहीमी व शालू के साथ बाबा रहीम शाह की मजार से निकलकर घर की ओर जा रहे थे।

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डंडे के हमले से दो लोगों की हुई थी मौत

उसी दौरान अमजद, इकबाल राइन, अरशद, रमजान व अमजद की पत्नी शकीला व उसकी बेटी शबनम आदि ने कब्रिस्तान के समीप घेर लिया और डंडे से हमला कर दिया। सिर व शरीर लहूलुहान हो गया। शोर सुनकर मजार की साफ-सफाई करने वाले कामिल और भतीजा बीच बचाव को पहुंचे तो हमलावरों ने उन्हें भी मारा-पीटा। पिटाई से मौके पर ही वादी के भाई शफीक उर्फ राजू व कामिल की मौत हो गई। अन्य घायलों को वादी व मोहल्ले के लोग अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां एक और भाई शकील उर्फ जाऊ की मौत हो गई। वहीं, इस घटना में गंभीर रूप से घायल भतीजे चांद रहीमी की कुछ दिनों बाद उपचार के दौरान मौत हो गई थी।

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