Varanasi News: मोरारी बापू ने मानस कथा में प्रेम का बताया महत्व, बोले- इससे बड़ा कोई ज्ञान नहीं

कागभुशुंडी की शापमुक्ति के लिए उनके गुरु जब महादेव से प्रार्थना करते हुए परम साधु रुद्राष्टक का पाठ करते हैं तो वही रुद्राष्टक की सोलह पंक्तियां परम साधु का सिंदूरी शृंगार हैं।

रुद्राष्टक के पाठ से भगवान महाकाल प्रसन्न होते हैं और भुशुंडी को क्षमा कर देते हैं। शिष्य को श्राप मिलने पर गुरु के हृदय से जो चीख उठी, उसकी शांति के लिए भगवान शिव अपने शरीर से भस्म लेकर परम गुरु के भाल पर लगाने जाते हैं तब माता पार्वती ने अपनी मांग का सिंदूर भगवान शंकर को दिया।

भगवती की करुणा, पूर्णता का सिंदूर भगवान शिव परम साधु के भाल पर लगाते है, और उसे शृंगरित करते हैं, यही इस कथा का गुरुमुखी रहस्य है। ।

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