गाजियाबादः मंजिल पाने के लिए संघर्ष जरूरी- शिवांगी मिश्रा

  • Pinki
  • Saturday | 7th October, 2017
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संक्षेप:

  • 8 साल की उम्र में स्वरवेनि इंस्टिट्यूट में सीखा संगीत
  • परिवार के साथ ने शिवांगी मिश्रा बनी क्लासिकल सिंगर
  • निनाद म्यूजिक कॉम्पटीशन में पाया पहला स्थान

गाजियाबादः महज़ 8 साल की उम्र से संगीत की दुनिया में कदम रखने वाले शिवांगी मिश्रा जिनके माता पिता ने उनका साथ देकर संगीत के शौक को आगे बढ़ाया और हर कदम पर सपोर्ट किया। जिसके चलते शिवांगी मिश्रा आज एक क्लासिकल सिंगर है। जिन्होंने स्वरवेनि इंस्टिट्यूट से संगीत सीखा है।

सवाल- अपने बारे में बताईये ?

जवाब- मेरा नाम शिवांगी मिश्रा है। मैं एक क्लासिकल सिंगर हूँ। मझे बचपन से ही म्यूजिक में खाफी इंटरेस्ट रहा है। जिसके चलते मैंने अपनी वोकल ट्रेनिंग बहुत ही कम उम्र से शुरू करवा दी थी। मैं 8 साल की उम्र से संगीत की दुनिया में हूँ। मेरे गुरु पंडित आशिष नारायण जिनकी छत्र छाया और गाइडेंस में मैंने सब कुछ सीखा है और शास्त्रीय संगीत के बारे में पढ़ते वक्त और समझते वक़्त मैंने यह जाना की ठुमरी, दादरा, भजन और ग़ज़ल मेरे पर्सनल फेवरेट है। जिनमे मझे ज़्यादा रुचि आती थी। मैं बहुत खुशनसीब हूँ जो मेरी संगीत की जर्नी के दौरान इतने महान और एक्सपेरेंसड गुरु की गाइडेंस मझे मिली जिनकी वजह में अच्छा कर पाई संगीत के क्षेत्र में।

सवाल- वोकल आर्टिस्ट बनने की प्रेरणा आपको कहां से मिली ?

जवाब- जैसे कि मैंने कहा की मेरी उम्र बहुत छोटी थी उस वक़्त जब मैंने वोकल ट्रेनिंग देनी शुरू की थी। संगीत के प्रति मेरी रुचि ने ही मझे सिंगिंग के लिए प्रेरित किया। और जब मैंने शुरू की तो मेरा इंटरेस्ट संगीत में बढ़ता गया और यह सिलसिला चलता गया बस। जिसके बाद से मेरा संगीत की दुनिया में आगाज़ हुआ था। लेकिन फिर संगीत के लिए मेरी चाह और बढ़ने लगी और मैं कुछ अच्छा और बेहतर करना चाहती थी।  और मेरी यही चाह मझे इतनी आगे तक ले आयी है। जिसके बाद मैंने स्कूल कम्पटीशन और जोनल लेवल के शोज में पार्टिसिपेट किया और जीते भी हर साल आगरा में होने वाला निनाद म्यूजिक कम्पटीशन में भी में बहुत बार प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी हूँ।

सवाल- आज आपका नाम टैलेंटेड एंड डेडिकेटेड लर्निंग म्यूजिशियन में शुमार है। इस मुकाम को हासिल करने के लिए आपको कितना संघर्ष करना पड़ा ?

जवाब- संघर्ष तो हर एक के जीवन में होता है और मेरा तो यह मानना है कि जितना ज्यादा संधर्ष होगा कामयाबी भी उतनी ही बड़ी होगी। हमे संघर्ष करने से खभी पीछे नही हटना चाहिए। बल्कि अपनी मंज़िल को पाने के लिए मैं तो संघर्ष को अपना साथी मानती हूँ। किसी भी इंसान को जीवन में संघर्ष करने से कभी नहीं घबराना चाहिए।

सवाल-  इस फील्ड में यंग टैलेंट को NYOOOZ  के माध्यम से आप क्या कहना चाहेंगे?

जवाब- म्यूजिक की दुनिया में आने वाले यंग टैलेंट को में तो यही कहूँगी कि अगर आपको म्यूजिक की दुनिया में काम करना है तो म्यूजिक सीखना पड़ेगा। तो ही आपकी स्टेबिलिटी रहेगी नही बड़ी जल्दी रिप्लेस कर दिए जाओगे। सिर्फ सुनकर आप सीख नही सकते संगीत। संगीत के प्रति डेडिकेशन, रेस्पेक्ट और साधना होनी चाहिए।

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