कानपुर: सरकारी नौकरी छोड़ RTI एक्टिविस्ट बने नीरज गुप्ता

  • Aditi
  • Monday | 3rd July, 2017
  • local
संक्षेप:

  • धांधली दिखते ही लगाते है RTI
  • रखते है सरकारी सिस्टम से लड़ने का जज्बा
  • NYOOOZ ने की आरटीआई एक्टिविस्ट नीरज गुप्ता से मुलाकात

कानपुर- प्राइमरी स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर की नौकरी छोड़ कर 27 साल का यह नौजवान अब सरकारी विभागों में बैठ कर धांधली करने वालों के खिलाफ इसकी जंग जारी हैl इतनी सी उम्र में नगर निगम, श्रम विभाग, समाज कल्याण विभाग, डीआईओ एस, आरटीओ और आरबीआई जैसे विभागों की आरटीआई के माध्यम से अधिकारियों को सच का आइना दिखा चुके हैंl

जिसके अन्दर सरकारी सिस्टम से लड़ने का जज्बा है, इस जज्बे को उनका परिवार और उनके दोस्त के साथ ही कानपुर जनता भी उनकी मुरीद हैl अपने साथियों की समस्याओ को लेकर वह फ़ौरन उसका जवाब आरटीआई से मांगते हैl कई विभागों ने तो दबाव बनाकर मुंह बंद करने का भी प्रयास कियाl यह शख्स किसी के सामने झुकने वाला नही है और सभी को अपनी कलम से इसका जवाब दिया हैl

बर्रा थाना क्षेत्र के विश्वबैंक में रहने वाले बंशी लाल गुप्ता एस आई के पद से रिटायर्ड हैl इनके परिवार में पत्नी राजकुमारी गुप्ता बड़ा बेटा दीपक गुप्ता, मंझलें बेटे नीरज गुप्ता (27) और छोटे बेटे पंकज गुप्ता के साथ रहते हैl नीरज गुप्ता बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार है उसने बीबीए, बीपीएड, एमए किया है और अब वह एलएलबी कर रहे हैंl नीरज गुप्ता की बेसिक शिक्षा विभाग में सन् 2013 में स्पोर्ट्स टीचर के पद पर नौकरी मिली थीl पहली ज्वाइनिंग इलाहाबाद के करछहना ब्लाक के एक जूनियर विद्यालय में हुई थीl

नीरज गुप्ता बताते हैं कि जब मेरी नौकरी लगी मैंने इलाहाबाद में जूनियर विद्यालय ज्वाइन किया मैंने 1 साल वहां पर बच्चों को पढ़ायाl जिस स्कूल में पढ़ाता था उस गाँव में मनरेगा में बड़ी धांधली चल रही थी।

जिसकी जानकारी मुझे ग्रामीणों ने और बताया की उनका कैसे शोषण हो रहा हैl मैंने इसके खिलाफ वहां पर एक आरटीआई डाली जिसमें पूरी धांधली का खुलासा हो गया और उस पर कार्रवाई भी हुई थीl इसके बाद मेरे एक दोस्त की समाज कल्याण विभाग से स्कॉलरशिप नहीं रिलीज हो रही थी। जब मैंने उसके खिलाफ आरटीआई डाली तो मेरे फ्रेंड को स्कालरशिप मिल गईl

इसके साथ ही मै अक्सर देखता था कि सरकारी विभागों में कितना भ्रष्टाचार फैला है। यह सब देख कर मेरा मन नही लगा और मैंने नौकरी से रिजाइन कर दिया।

इसके बाद मै दोबारा कानपुर आ गया मेरे इस फैसले का मेरे घर वालो ने विरोध किया। जब मैंने आरटीआई के माध्यम से कई विभागों के अधिकारियो की पोल खोलना शुरू किया तो सभी ने मेरी जमकर तारीफ की। मैंने कई गरीबो को आरटीआई के माध्यम से न्याय दिलाया है और एक बार मैंने अपने परिवार का विश्वास जीत लिया।

नीरज ने बताया कि मैंने एक नोट बंदी पर आरबीआई से आरटीआई के माध्यम से पूछा था कि जो लोग अपनी आईडी से पुराने नोट बदलने ले गए है क्या उसका डाटा आरबीआई के पास है और उनकी आईडी के बैंक मिस यूज न करे इसके लिए क्या प्रावधान है। इस जवाब आया था कि आरबीआई के पास बात का कोई डाटा नही है।

कानपुर शहर में जितनी भी ट्रेवल एजेंशी है क्या उनका रजिस्ट्रेशन आरटीओ में है,आरटीआई में जवाब आया कि किसी भी ट्रेवल एजेंशी का आरटीओ में रजिस्ट्रेशन नही है यह सभी ट्रेवल एजेंशी अवैध है।

आरटीओ में भारी वाहनों के फिटनेस में भारी फेरा फेरी चल रही थी जब इस सम्बन्ध में आरटीआई डाली तो कई चौकाने वाले खुलासे सामने आये थे। इसी तरह से नगर निगम, जलसंसाधन और श्रम विभागों की के भी खुलासे किये है।

नीरज के मुताबिक यदि मेरे सामने किसी गरीब का शोषण होता है मुझसे देखा नही जाता है उसके अधिकार के लिए मै सामने खड़ा हो जाता हूँ। इसके लिए मुझे कितनी भी दिक्कतों का सामना करना पड़े तो पीछे नही हटूंगा।

नीरज गुप्ता ने समाज को मैसेज देते हुए कहा कि जनता जब तक आवाज नही उठाती है। सत्ता कोई बात स्वीकार नही करती है न पहले की और नही आगे करेगी। इसके लिए हमारे पास एक ही विकल्प है जब तक भ्रष्ट्राचार मुक्त भारत और जवाब दे व्यवस्था का सपना साकार नही हो जाता तब तक हम अपना संघर्ष जारी रखे।

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