मेरठ : छोटी उम्र में बना शूटर, अब तक जीत चुके है 36 मेडल
- Pinki
- Sunday | 24th December, 2017
- local
- शूटर शार्दूल विहार का कारनामा दुनिया में मशहूर
- 61वीं नेशनल शूटिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल
- शार्दूल अब तक कुल 36 मेडल जीत चुका है
मेरठ : मेरठ के शूटर शार्दूल विहान का कारनामा देखकर हर कोई उसकी प्रतिभा का कायल हो उठा है। हाल ही में संपन्न हुई 61वीं नेशनल शूटिंग प्रतियोगिता में शार्दूल विहान ने जूनियर और सीनियर दोनों वर्गों में गोल्ड हासिल किया है। इस इवेंट में उसने कुल 4 गोल्ड मेडल हासिल कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। शार्दूल अब तक कुल 36 मेडल जीत चुका है। शार्दूल और उसके पिता दीपक विहान ने बताया कि कैसे वह चुनौतियों के बाद भी इस मुकाम तक पहुंचा है।
मेरठ में अच्छी शूटिंग रेंज न होने की वजह से शार्दूल को प्रैक्टिस के लिए रोज दिल्ली जाना पड़ता है। इसके लिए उसे रोज सुबह 4 बजे उठना पड़ता है। दिल्ली आने जाने में उसे रोज करीब 100 किमों का सफर करना पड़ता है। सफर के दौरान उसे थकान भी होती है लेकिन वह अपनी प्रैक्टिस पर नहीं पड़ने देता है। एक्सरसाइज और योग करके वह अपने आपको बिलकुल तरोताजा रखता है। पिता दीपक विहान ने बताया कि शार्दूल को उसके चाचा मनोज रोज दिल्ली लेकर जाते हैं। दिल्ली में वह अपने कोच अनवर सुलतान से ट्रेनिंग ले रहा है। उसके कोच भी शार्दूल की प्रतिभा को निखारने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं।
खेल के साथ पढ़ाई पर भी ध्यान
अपने गेम के साथ-साथ शार्दूल अपनी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देता है। प्रैक्टिस की वजह से वह नियमित रूप से अपनी क्लास में नहीं जा पाता, लेकिन उसके टीचर उसे पूरा सपोर्ट करते हैं। शार्दूल मोदीपुरम के डीएमए-1 स्कूल में कक्षा 9 में पढ़ता है, सप्ताह में एक दिन सोमवार को शार्दूल स्कूल जाता है, या उस दिन जिस दिन वह प्रैक्टिस पर नहीं जाता। स्कूल में उसके टीचर राजीव ढाका और प्रिंसिफल रितु दीवान को पूरा सहयोग मिलता है। घर पर पढ़ाई करने के लिए शार्दूल के लिए अलग से एक ट्यूटर रखा हुआ है।
क्रिकेटर बनना चाहता था शार्दूल
शूटर शार्दूल विहान के पिता दीपक विहान ने बताया कि शार्दूल क्रिकेटर बनना चाहता था, इसलिए उसे 6 साल की उम्र में क्रिकेट की प्रैक्टिस के लिए भेजना शुरू कर दिया था। सालभर प्रैक्टिस करने के बाद एक दिन शार्दूल ने बताया कि उसे सबसे पीछे खड़ा किया जाता है और बैटिंग भी बाद में देते हैं। इसके बाद उसे क्रिकेट की जगह बैडमिंटन की प्रैक्टिस कराना शुरू कराया। एक दिन गांव से जब शार्दूल स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए पहुंचा तो वह थोड़ा लेट हो गया। जिस पर उसके कोच ने उसे वापस घर भेज दिया।