आगरा में पिता ने दो बेटियों के इलाज के लिए सरकार से मांगी मदद

संक्षेप:

  • बेटियों के लिए पिता ने मांगी सरकार से मदद
  • दो बेटियों को जन्म से ही है एक लाइलाज बीमारी
  • दोनों के इलाज में लगा दी सारी कमाई 

आगरा: आगरा बाह थाना क्षेत्र में एक लाचार पिता ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. इस पिता की दो बेटियों को जन्म से ही एक लाइलाज बीमारी है. इसके कारण यह दोनों बहनें मौत के मुंह पर खड़ीं हैं. पिता ने जीवन की सारी कमाई इनके इलाज में लगा दी और अब पैसे खत्म होने के बाद अब सरकार से मदद मांगी है.

जैतपुर थाना के मुकुटपुरा गांव में किसान सुखराम की दो बेटियों को जन्म से ही लाइलाज बीमारी लग गई है. 15 सालों में चिकित्सक भी इस बीमारी का पता नहीं लगा सके हैं. बच्चों की मां ने बताया कि जन्म के दो दिन बाद ही दोनों बहनों के शरीर पर फफोले निकल आए. फिर ये फफोले फूट जाते हैं और उनसे खून रिसता रहता है.

लाइलाज चर्म रोग से ग्रसित बेटियों के इलाज में लाचार पिता अपनी जमापूंजी गंवा चुका है. नाते-रिश्तेदारों से कर्जा भी ले लिया. भैंस और गाड़ी भी बिक गई, लेकिन अभी भी दोनों बेटियों की हालत में कोई सुधार नहीं है. जब तक दवा चलती है तब तक आराम होता है, लेकिन दवा बंद होते ही फिर वही हालत हो जाती है. 

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मुकुटपुरा निवासी सुखराम ने बताया कि उसकी दोनों बेटियां प्रियंका(15) और शिवानी(10) है के पूरे शरीर फफोले बन गए हैं, जो फूटने पर घाव बन जाते हैं. अब दोनों के शरीर की स्थिति ऐसी है कि दोनों बहनें कपड़े तक नहीं पहन पातीं हैं, क्योंकि कपड़े इनके घाव से चिपक जाते हैं. बच्चियों की हालत ऐसी है कि परिवार के अलावा कोई अन्य व्यक्ति उन्हें छूना तो दूर देखने की हिम्मत भी नहीं कर सकता है.

पिता ने इनका कई शहरों में इलाज करवाया. 15 साल से आगरा, फतेहाबाद और इटावा में डॉक्टरों के यहां चक्कर लगा रहा हूं. तमाम जांचें हो गईं, लेकिन आज तक इनकी बीमारी का भी पता नहीं चला है. इसलिए उनका सही इलाज भी नहीं हो पा रहा है. दोनों बहनों के इलाज में करीब 20 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. अब उनके पास पैसे नहीं बचे हैं. इसलिए सरकार से अपील की है कि उनकी बच्चियों का सरकार इलाज करवाए. वरना दोनो बच्चियां उनकी आंखों के सामने मर जाएंगी और वो कुछ नही कर पाएंगे.

सुखराम और उमा देवी ने बताया कि दोनों बेटियों को पहले स्कूल भेजा था. कुछ दिन वे स्कूल भी गई. फिर वहां साथ पढ़ने वाले बच्चों ने उन्हें पास नहीं बैठने दिया. इससे वे कई दिन तक दूर बैठकर पढ़ीं. फिर बाद में सभी ने कह दिया कि पहले इलाज कराओ, जब ठीक हो जाए तो स्कूल भेज देना. इसलिए बेटियां अब घर में ही रहती हैं.

सुखराम ने बताया कि बेटियों का उपचार कराने कुछ दिन पहले आगरा के एक निजी अस्पताल में ले गया था. वहां पर 6 दिन में डॉक्टर ने 60 हजार रुपए ले लिए मगर कोई फायदा नहीं. मजबूरन बेटियों को घर ले आए. सुखराम का कहना है कि  बेटियों का रोग जन्मजात नहीं है. चिकित्सक उनके और पत्नी के खून और भी कई जांच करा चुके हैं. जिनमें उनके जन्मजात रोग होने की पुष्टि नहीं हुई है. उनका एक बेटा कान्हा भी है, जो बिल्कुल ठीक है. जन्म के 2 दिन बाद ही दोनों बेटियों को यह लाइलाज चर्म रोग हुआ है.

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